छत्तीसगढ़

बड़े अधिकारियो को मैनेज कर वापस भेजनें मे सफल हुआ एस ई सी एल सोहागपुर

एनडीआरएफ के बाद सेना ने खड़े किए हाथ, बंद खदान में डोजर और ऑपरेटर की तलाश 5 दिन बाद बंद

सुरक्षा अधिकारी अमित सिंह बिना डिग्री के बने है सुरक्षा अधिकारी, मृतक के परिजन 

*बड़े अधिकारियो को मैनेज कर वापस भेजनें मे सफल हुआ एस ई सी एल सोहागपुर*

*मृतक के परिजनों को अँधेरे मे रख रहा एस ई सी एल* 

*अतीक खान बाबा*

शहडोल। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के सोहागपुर एरिया में एक निजी कंपनी के कामकाजी स्थल पर मिट्टी के स्लाइड होने से डूबे एक डोजर मशीन और हाईवा के चालक अनिल कुशवाहा की तलाश पांच दिन बाद बंद कर दी गई है। प्रशासन ने एनडीआरएफ को रेस्क्यू के लिए बुलाया था, जबलपुर से सेना की एक टुकड़ी भी आई थी, दोनों कंपनियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

11 अक्टूबर को शाम 5 बजे, आरकेटीसी कंपनी द्वारा फिलिंग के दौरान मिट्टी के अचानक फिसलने से ये मशीनें गहरे पानी में डूब गईं। अनिल कुशवाहा, जो रीवा के मऊगंज से थे, उनकी तलाश के लिए जिला प्रशासन ने वाराणसी से नेशनल डिजास्टर रिलीफ फोर्स (एनडीआरएफ) और जबलपुर से सेना की मदद मांगी। एनडीआरएफ के 94 जवानों ने अपने प्रयास किए, लेकिन उन्हें केवल हाईवा खोज लिया । जो 84 फीट की गहराई में है जिसे निकला नहीं जा सका। सेना ने भी वाहन और ऑपरेटर को पानी से बाहर निकालने के लिए मना कर दिया है।

कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने बताया, परिवार की सहमति से अनिल कुशवाहा को मृत मान लिया गया है। हमने पुलिस और पंचनामा रिपोर्ट के आधार पर डेथ सर्टिफिकेट जारी करने के निर्देश दिए हैं।स्थानीय प्रशासन ने मुआवजे के लिए लगभग 45 लाख रुपये की राशि को अंतिम रूप तय की है, जो एसईसीएल या आरकेटीसी द्वारा प्रदान की जाएगी।

पुरानी घटनाओं से सबक न लेना

यह हादसा पहली बार नहीं हुआ है। 2014 में भी धनपुरी ओसीएम में मिट्टी भरने के दौरान एक कर्मचारी गहरे पानी में डूब गया था, जिसे निकालने एक क्रेन और एक गोताखोर भी डूब गया था। 15 दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद उन्हें नहीं खोजा जा सका। इस बार भी सोहागपुर एरिया प्रबंधन ने कोई सबक नहीं लिया, जिससे यह साफ होता है कि सुरक्षा प्रबंधनों में गंभीर खामी है। आरकेटीसी कंपनी को काम के दौरान आवश्यक एहतियात बरतने के लिए पर्याप्त सावधानियां नहीं बरती गईं।

परिजनों का दर्द

अनिल कुशवाहा के परिजनों ने पांच दिन से हाईवा को बाहर निकालने की उम्मीद में इंतजार किया। लेकिन सेना ने भी अब हाथ खड़े कर दिए है।परिवार का कहना है कि डेथ सर्टिफिकेट के लिए ज़रूरी दस्तावेजों की प्रक्रिया में विलंब हो रहा है, जिससे उन्हें मुआवजे की राशि में भी देरी हो रही है।और एस ई सी एल प्रबंधन ठीक से जवाब भी नहीं दे रहा, परिजनों ने आरोप लगाते हुए कहा की एस ई सी एल प्रबंधन शासन प्रशासन को मैनेज कर चुकी है , खोया तो अपना सब कुछ हमने है, जबकि एस ई सी एल को सारी जानकारी थी की बारिश हुई है, मिट्टी दब रही है, उसके बावजूद भी 40मीटर गहरे पानी को मिट्टी से भटवा रही थी, क्या सुरक्षा अधिकारी अमित सिंह सिर्फ एस ई सी एल से पेमेंट लेने के लिए  है।

सुरक्षा अधिकारी अमित सिंह के पास न तो कोई डिग्री है न ही अनुभव उसके बाद भी एस ई सी एल के ज़ी एम ज़ेना कमाउ पूत पर क्यू कार्यवाही करेंगे ❓

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