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शासन स्तर से दवाओं का निर्धारण उचित प्रक्रिया, किंतु कंटेंस को अलग-अलग करना कहां तक उचित,लाभ हानि के गणित से ऊपर रहे जीवन रक्षक दवाएं है,,,

 

राजगढ़ जिला चिकित्सालय में इन दिनों उपचार व्यवस्था अस्पताल के स्वास्थ्य रक्षकों का ड्यूटी से गायब रहना नगर में चर्चा का विषय बना हुआ है और कुछ लोग प्रशासन कोई जिम्मेदारों को कोर्सरहे हैं इसके विपरीत एक और संवेदनशील मामला सामने आया जिसमें यदि दवाई गोली खाते समय मरीज से कहीं चूक हो जाती है तो उसकी जान पर भी बन सकती है लोहे की साधारण चोट भी किसी को लग जाए तो जिला अस्पताल में टिटनेस या एटीएस का इंजेक्शन बाजार से क्रय कर कर लाना पड़ता है अब शासन स्तर से मिलने वाली दवाओकी चर्चा करें तो विगत तीन माह पूर्व तकमिलने वाली सरकारी दवाओमें भारी फेरबदल हो गया जो कि पेशेंट और आमजन के लिए भारी मुसीबत पैदा कररहा है जैसे की पहले एमलोडायपिन,एटिनाल, एक ही गोली एमलो ए,टी के नाम से वितरित होती थी जिस पेशेंट या आमजन बड़ी आसानी से एक ही गोली खाकर दिन भर के लिए निश्चित हो जाता था किंतु वर्तमान में उच्चस्टार केजिम्मेदारों द्वारा युक्त जीवन रक्षक दवाई के दोनों कंटेंट्स अलग-अलग करके मरीज व आमजन को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है यदि गलती से भी दोनों दावों के कंटेंट्स आमजन या पेशेंट द्वारा काम ज्यादा मात्रा में लिए जाने पर जान भीमुसीबत में पड सकती हैं पढ़े-लिखे लोगों की बात अलग है किंतु गांव खेड़े में रहने वाले लोगों को अस्पताल के डॉक्टर कितना समझा पाते हैं यह किसी से छुपा नहीं है चिकित्सा विभाग के उच्च स्तरीय जिम्मेदार उपरो उक्त मामला संज्ञान में लेकर जनहित से जुड़े ऐसे मुद्दों पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करें गे। इनका कहना है, शासन के उच्च स्तर पर जो दवाओ की स्वीकृति होतीवहीं जिला चिकित्सालय में पहुंचती है और उन्ही दवाओका वितरण होता है रजनीश शर्मा सिविल सर्जन

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