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प्रतिबंध, आरोप, अत्याचार और षड्यंत्रों के बावजूद स्वयंसेवकों ने राष्ट्र सेवा का संकल्प नहीं छोड़ा। आज संघ का कार्य विश्वभर में मानवता और राष्ट्र निर्माण की दिशा में अग्रसर है

राजगढ़ खिलचीपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष निरंतर प्रेरणा और संगठन शक्ति का प्रतीक बन रहा है। इसी कड़ी में शनिवार को नगर में भव्य पथ संचलन निकाला गया, जिसमें सैकड़ों स्वयंसेवकों ने अनुशासित कदमताल के साथ एकता, देशभक्ति और सेवा का संदेश दिया। कार्यक्रम में प्रमुख वक्ता प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया ने बौद्धिक देते हुए “दैवीय जीवन” और “समाज परिवर्तन के पंच विषयों” पर विस्तार से प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि सद्गुण, सदाचार और सद्वृत्तियों का जीवन में प्रवेश ही दैवीय जीवन का प्रारंभ है। दैवीय जीवन का अर्थ विशिष्ट बनना नहीं, बल्कि शिष्ट बनना है। जो व्यक्ति धर्म, नीति और निष्ठा से जीवन जीता है, वही वास्तव में देवत्व को धारण करता है। उन्होंने कहा कि “देवता वे नहीं जो स्वर्ग में रहते हैं, बल्कि वे हैं जिन्होंने अपने घर को ही स्वर्ग बना दिया है।”

प्रांत कार्यवाह हेमंत सेठिया ने संघ की स्थापना से लेकर वर्तमान तक की ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि 27 सितंबर 1925 को डॉ. हेडगेवार जी ने दूरदृष्टि के साथ राष्ट्र जागरण हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी। प्रारंभिक दिनों में संघ ने अनेक कठिनाइयाँ झेलीं — प्रतिबंध, आरोप, अत्याचार और षड्यंत्रों के बावजूद स्वयंसेवकों ने राष्ट्र सेवा का संकल्प नहीं छोड़ा। आज संघ का कार्य विश्वभर में मानवता और राष्ट्र निर्माण की दिशा में अग्रसर है।

उन्होंने आगे कहा कि संघ का उद्देश्य केवल संगठन निर्माण नहीं, बल्कि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है। इसके लिए वर्तमान में पाँच परिवर्तन विषयों पर कार्य किया जा रहा है —
1️⃣ सामाजिक समरसता
2️⃣ कुटुंब प्रबोधन
3️⃣ पर्यावरण संरक्षण
4️⃣ स्व का बोध
5️⃣ नागरिक शिष्टाचार

इन विषयों को लेकर स्वयंसेवक घर-घर जाकर समाज को जोड़ने का कार्य कर रहे हैं। 15 से 30 नवंबर तक व्यापक संपर्क अभियान चलाया जाएगा, जिससे राष्ट्र के प्रति एकरूपता और आत्मीयता का भाव जागृत हो।

कार्यक्रम में नगर के अनेक स्थानों पर पथ संचलन का स्वागत किया गया। पुष्पवर्षा, शंखनाद और जयघोष से पूरा वातावरण राष्ट्रभक्ति से गूंज उठा। स्वयंसेवकों की अनुशासित पंक्तियाँ और भगवा ध्वज की छटा ने नगरवासियों में उत्साह और गौरव का भाव उत्पन्न किया।

कार्यक्रम के अंत में “भारत माता की जय” के नारे गूंजे। संचलन का समापन प्रार्थना के साथ हुआ।

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