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कलेक्टर की अनुशंसा पर ही दर्ज होगी वन कर्मियों के खिलाफ एफआईआर

भोपाल| पुलिस मुख्यालय ने वन कर्मियों द्वारा आग्नेयास्त्रों के उपयोग के संबंध में अपनी सभी जिला इकाइयों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि जिला मजिस्ट्रेट की अनुशंसा के बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी। वन कर्मचारियों और अधिकारियों द्वारा जंगल की सुरक्षा के लिए लंबे समय से आग्नेयास्त्रों के उपयोग और उसके बाद पुलिस कार्रवाई पर समय-समय पर सवाल उठते रहे हैं।

एडीजी पंकज श्रीवास्तव के अनुसार वनकर्मी जरूरत के हिसाब से आग्नेयास्त्रों का उपयोग करते हैं, लेकिन कई मामलों में स्थानीय पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करती है, जब कोई व्यक्ति पुलिस के पास जाता है और शिकायत दर्ज कराता है। उन्होंने कहा कि पीसीसीएफ और वन बल प्रमुख ने पिछले साल अक्टूबर में पुलिस मुख्यालय को पत्र भेजकर इस मुद्दे पर स्पष्टता मांगी थी।

अब आग्नेयास्त्रों के उपयोग के मामले में एफआईआर दर्ज करने के संबंध में सभी जिला पुलिस अधीक्षकों, रेलवे, भोपाल और इंदौर के पुलिस आयुक्तों को निर्देश दिए गए हैं। उन्हें बताया गया है कि जब तक जिला मजिस्ट्रेट द्वारा नियुक्त अधिकारी फायरिंग मामले की जांच पूरी नहीं कर लेता और यह नहीं पाता कि वन कर्मियों के खिलाफ मामला दर्ज किया जाना चाहिए, तब तक पुलिस मामले में संज्ञान नहीं लेगी।

अधिकारी यह पता लगाएंगे कि आग्नेयास्त्रों का इस्तेमाल अनुचित तरीके से किया गया था या इसकी जरूरत थी या इसका इस्तेमाल अनावश्यक दबाव बनाने के लिए किया गया था, उसके बाद पुलिस संज्ञान ले सकती है। पुलिस को मामले में गृह विभाग द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का भी पालन करना होगा।

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