मन्नत मांगने पर टाइफाइड के मरीज होते हैं ठीक मन्नत पूरी होने पर होता है यहां पर भंडारों का आयोजन
<लखन गुर्जर
राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में मोती महाराज का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो 225 साल पुराना माना जाता है. यह मंदिर खिलचीपुर के ठाकुर दुर्जन सिंह (या दुर्जन साल) के परिवार से जुड़ा है, जिनके परिवार में किसी की अकाल मृत्यु हो गई थी, और फिर मोती महाराज ने उन्हें दर्शन दिए और वे जीवित हो गए. तब से, मंदिर की सेवा पीढ़ी दर पीढ़ी उनका परिवार कर रहा है. मान्यता है कि इस मंदिर में मोती ज्वर महाराज के रूप में भगवान स्वयं विराजमान हैं और भक्तों की समस्याओं का समाधान करते हैं, खासकर बुखार से संबंधित. माना जाता है कि यहां सच्चे मन से मन्नत मांगने से दो महीने से आ रहा बुखार भी ठीक हो जाता है, और मनोकामना पूरी होने पर भंडारा किया जाता है.
खिलचीपुर राज्य, 9 तोपों की सलामी वाला रियासत था, जिसका मुख्यालय खिलचीपुर में था, जो वर्तमान में राजगढ़ जिले का हिस्सा है. 1901 में इसकी जनसंख्या 31,143 थी और राजस्व 1,14,000 रुपये था.
मंदिर के पुजारी दीपकचंद शर्मा के अनुसार, मंदिर की स्थापना 175 वर्ष पूर्व हुई थी, और वर्तमान ऊर्जा मंत्री प्रियव्रत सिंह के पूर्वज और खिलचीपुर महाराज किशन जी ने 1847 में इसकी स्थापना की थी, जब उनके पुत्र को टाइफाइड हो गया था. अक्षय तृतीया के दिन मंदिर का निर्माण करवाया गया था, और कहा जाता है कि इसके बाद राजकुमार की तबीयत ठीक हो गई थी वही आपको बता दें कि मंदिर में प्रतिदिन बीमार दुखी मन्नत मांगने आते हैं वहीं जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है वह मन्नत पूरी होने पर यहां पर भंडारे एवं प्रसादी का आयोजन करवाते हैं यहां जब भी जाओ वहां किसी न किसी परिवार की ओर से भंडारे का आयोजन होता मिलता है