राजस्‍थान

संविधान दिवस समारोह आयोजित— भारत के जन के मन की भाषा है संविधान- राज्यपाल बागडे

संविधान में सनातन संस्कृति के नायकों को दिया गया है चित्र रूप में सम्मान

जयपुर, 26 नवम्बर। संविधान दिवस समारोह के कार्यक्रम में राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कहा कि सनातन संस्कृति के नायकों को सम्मान देने के लिए संविधान में चित्र रूप में सम्मिलित किया गया।

राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने बुधवार को महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय में आयोजित संविधान दिवस समारोह में भाग लिया। इससे पूर्व उन्होंने संविधान उद्यान का अवलोकन भी किया। समारोह में महर्षि दयानन्द सरस्वती विश्वविद्यालय की गतिविधियों से सम्बन्धित न्यूज लेटर त्रिवेणी का विमोचन किया गया। राज्यपाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि संविधान भारत के जन के मन की भाषा है। इसलिए संविधान को लागू करते समय आत्मार्पित करने का उल्लेख किया गया है। इसका अर्थ है कि संविधान को मन और आत्मा से सुपुर्द किया गया है।

श्री बागडे ने संविधान निर्माण की यात्रा के बारे में भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि संविधान सनातन संस्कृति के मूल्यों पर आधारित है। सनातन संस्कृति के नायकों तथा आक्रान्ताओं से संस्कृति की रक्षा करने वाले महापुरूषों को संविधान में स्थान दिया गया है। उनके चित्र संविधान की मूल प्रति में उकेरे गए है। इन पर हमें गर्व होना चाहिए। संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अर्थ किसी व्यक्ति विशेष का मान मर्दन करना नहीं होना चाहिए।

श्री बागडे ने कहा कि भारत लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है। इसे विकसित राष्ट्र बनाने में राष्ट्र के सभी नागरिकों का योगदान है। युवा पीढ़ी के द्वारा किए गए अच्छे कार्य इसकी गति बढ़ाएंगे। शिक्षा में नई ऊर्जा आनी चाहिए। बौद्धिक क्षमता बढ़ने से शोध जैसे कार्य होंगे। इसका उपयोग राष्ट्र के विकास में होगा। शिक्षा और संस्कार साथ-साथ चलने चाहिए।

संविधान दिवस समारोह के मुख्य वक्ता अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि संविधान सभा के सदस्य आर्दशवादिता, समर्पण तथा समावेशिता का जीवन जीते थे। अब तक आए सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तनों में भी स्थिर शासन देने में संविधान सक्षम है। यह संविधान दुनियाँ को मार्ग दिखा रहा है।

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