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*महामारी विज्ञान में बदलाव, शहरीकरण और पश्चिमी जीवनशैली हृदय रोग के मुख्य कारण : डॉ. राकेश जैन* इंदौर में विश्व हृदय दिवस पर चेतावनी – जीवनशैली बदलें, दिल बचाएँ

विश्व हृदय दिवस

*महामारी विज्ञान में बदलाव, शहरीकरण और पश्चिमी जीवनशैली हृदय रोग के मुख्य कारण : डॉ. राकेश जैन*
इंदौर में विश्व हृदय दिवस पर चेतावनी – जीवनशैली बदलें, दिल बचाएँ

इंदौर, सितम्बर – भारत में संक्रामक रोगों से गैर-संचारी रोगों की ओर झुकाव बहुत कम समय में हुआ है। इसका सबसे बड़ा असर युवा और उत्पादक आबादी पर पड़ रहा है, खासकर भारत जैसे मध्यम आय वाले देशों में। इससे न केवल देश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर दबाव बढ़ रहा है बल्कि आर्थिक विकास पर भी गंभीर असर पड़ रहा है। जो बीमारियाँ पहले 50-60 साल की उम्र में दिखाई देती थीं, अब वे 30 साल की उम्र में ही सामने आने लगी हैं।

भारत पहले ही दुनिया की मधुमेह राजधानी बन चुका है और अब जल्द ही यह उच्च रक्तचाप की राजधानी बनने की ओर बढ़ रहा है। इसके पीछे मुख्य रूप से महामारी विज्ञान में बदलाव, तेज़ शहरीकरण और पश्चिमी जीवनशैली ज़िम्मेदार हैं। यह कहना है शहर के वरिष्ठ कंसल्टेंट इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राकेश जैन का, जिन्होंने प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले विश्व हृदय दिवस पर यह जानकारी दी। इस वर्ष का विषय है – “एक भी धड़कन न चूकें”।

डॉ. जैन ने बताया कि हृदय रोग (CVDs) दुनिया में सबसे अधिक मौतों का कारण हैं। 2021 में लगभग 2.05 करोड़ लोगों की मृत्यु हृदय रोगों के कारण हुई, जो वैश्विक स्तर पर हर तीन मौतों में से एक है। यह आंकड़ा और भी चिंताजनक है, क्योंकि लगभग पाँचवाँ हिस्सा मौतें हृदय रोग से होती हैं, और वह भी कम उम्र की आबादी में।
युवाओं में हृदय रोग बढ़ने के पीछे कई कारण हैं – मधुमेह (10-12%), उच्च रक्तचाप (30%), डिस्लिपिडेमिया (25-30%), गतिहीन जीवनशैली (41%), मोटापा (20-25%), अस्वास्थ्यकर आहार (75%) और धूम्रपान/तंबाकू सेवन (29%)।

इंदौर अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए मशहूर है। पोहा-जलेबी से लेकर घी में तली मिठाइयाँ और त्योहारी थालियाँ हमारी पहचान हैं। लेकिन यही स्वाद कभी-कभी दिल पर भारी पड़ सकता है। पहले लोग घी और मिठाइयाँ खाते थे, लेकिन साथ ही अधिक चलते-फिरते थे और शारीरिक श्रम करते थे। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में गतिविधि कम हो गई है, और यही सबसे बड़ा खतरा है।”

स्वस्थ जीवन शैली, संतुलित आहार और शारीरिक गतिविधियों को अपनाने से हृदय संबंधी कई समस्याओं को कुछ हद तक और प्रारंभिक अवस्था में ही रोका जा सकता है। जैसे-जैसे बचपन में मोटापा महामारी का रूप ले रहा है, वैसे-वैसे प्रणालीगत उच्च रक्तचाप के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, प्रणालीगत उच्च रक्तचाप का प्रचलन 3-11% तक होता है। इस आयु वर्ग में मोटापे के मुख्य कारण गतिहीन जीवनशैली, स्क्रीन पर ज़्यादा समय बिताना, जंक फ़ूड, शीतल पेय और डिब्बाबंद भोजन हैं। उच्च रक्तचाप आमतौर पर गुर्दे की बीमारी से भी जुड़ा पाया जाता है और इसलिए इसकी गहन जाँच आवश्यक है। जन्मजात हृदय रोगों का पता हृदय संबंधी जाँच और इकोकार्डियोग्राफी द्वारा जीवन में प्रारंभिक अवस्था में ही लगाया जा सकता है। यह कहना है इंदौर शहर की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ और बाल रोग विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. प्रियंका जैन, एमबीबीएस, एमडी बचपन किड्स केयर क्लिनिक, गीता भवन चौक

डॉ. जैन ने सुझाव दिया कि रोज़ाना 30-40 मिनट की शारीरिक गतिविधि जैसे तेज़ चलना, साइकिल चलाना या योग करना बेहद ज़रूरी है। योग और व्यायाम न सिर्फ़ तनाव कम करते हैं बल्कि फेफड़ों की क्षमता और रक्तचाप को भी नियंत्रित करते हैं। जैसे आप अपना भोजन नहीं छोड़ते, वैसे ही अपनी शारीरिक गतिविधियाँ भी मत छोड़ें… और अपने दिल की धड़कन को कभी न रुकने दें।

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