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CM विष्णु देव साय के नेतृत्व में अधोसंरचना विकास को दी जा रही प्राथमिकता: कोनी-मोपका बायपास के पुनर्निर्माण हेतु 59.55 करोड़ रुपए की स्वीकृति….

रायपुर: छत्तीसगढ़ शासन के लोक निर्माण विभाग ने बिलासपुर जिले के कोनी-मोपका बायपास के पुनर्निर्माण के लिए 59 करोड़ 55 लाख 27 हजार रुपए की प्रशासनिक स्वीकृति प्रदान की है। यह स्वीकृति वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट प्रावधान के अंतर्गत दी गई है।

लगभग 14 किलोमीटर लंबी इस सड़क की स्थिति विगत कई वर्षों से अत्यंत दयनीय थी। एनटीपीसी सीपत, स्पंज आयरन फैक्ट्रियों, कोलवाशरी और अन्य औद्योगिक क्षेत्रों के साथ-साथ घने शहरी यातायात का भारी दबाव इस मार्ग से गुजरता है, जिससे सड़क अत्यधिक क्षतिग्रस्त हो चुकी थी। नागरिकों एवं जनप्रतिनिधियों द्वारा लंबे समय से इसके पुनर्निर्माण की माँग की जा रही थी।

मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा इस परियोजना को बजट में प्राथमिकता दी गई। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया है कि अधोसंरचना विकास, विशेष रूप से सड़कों की मजबूती और गुणवत्ता, राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। जनसुविधा से जुड़े ऐसे कार्यों में किसी प्रकार की ढिलाई स्वीकार्य नहीं होगी।

उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री श्री अरुण साव के अनुमोदन के उपरांत, विभाग ने मंत्रालय स्तर से वित्तीय स्वीकृति संबंधी परिपत्र प्रमुख अभियंता को जारी कर दिया है। साथ ही निर्माण कार्य को समय-सीमा के भीतर और गुणवत्ता मानकों के अनुरूप पूर्ण करने के निर्देश दिए गए हैं।

श्री साव ने कहा कि निर्माण सामग्री की गुणवत्ता, कार्य प्रक्रिया की पारदर्शिता और निगरानी व्यवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाएगी। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया है कि संपूर्ण परियोजना की सतत निगरानी सुनिश्चित की जाए और किसी भी स्तर पर निर्माण कार्य में त्रुटि पाए जाने पर जवाबदेही तय करते हुए कठोर कार्रवाई की जाए।

इस बायपास के पुनर्निर्माण से न केवल औद्योगिक क्षेत्रों की आवाजाही सुगम होगी, बल्कि शहरवासियों को भी भारी यातायात से राहत मिलेगी। राज्य शासन का यह निर्णय आमजन की बहुप्रतीक्षित माँग के प्रति सरकार की संवेदनशीलता और उत्तरदायित्वबोध को दर्शाता है।

लोक निर्माण विभाग द्वारा शीघ्र ही कार्यादेश जारी कर निर्माण प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी। शासन की मंशा है कि यह परियोजना उच्च गुणवत्ता, पारदर्शिता और निर्धारित समय-सीमा के भीतर पूर्ण हो, ताकि नागरिकों को शीघ्र और स्थायी राहत प्रदान की जा सके।

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