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‘इंदिरा गांधी द्वारा लोकतंत्र की हत्या’: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने निंदा कर रखा 2 मिनट मौन

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार 25 जून को इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा 1975 में आपातकाल लगाए जाने की निंदा करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया। आपातकाल के दौरान अपनी जान गंवाने वालों की याद में मंत्रिमंडल ने दो मिनट का मौन भी रखा।

एक एक्स पोस्ट में पीएम मोदी ने नागरिक स्वतंत्रता के दमन और मीडिया पर सेंसरशिप के प्रति अपनी असहमति भी व्यक्त की। उन्होंने लिखा, “‘द इमरजेंसी डायरीज’ आपातकाल के वर्षों के दौरान मेरी यात्रा का वृत्तांत है। इसने उस समय की कई यादें ताजा कर दीं।” उन्होंने कहा, “मैं उन सभी लोगों से आग्रह करता हूं जो आपातकाल के उन काले दिनों को याद करते हैं या जिनके परिवारों ने उस दौरान कष्ट झेले हैं कि वे अपने अनुभव सोशल मीडिया पर साझा करें। इससे युवाओं में 1975 से 1977 तक के शर्मनाक समय के बारे में जागरूकता पैदा होगी।”

दिल्ली के कैबिनेट मंत्री प्रवेश वर्मा ने एक बयान में कहा कि “परिषद की बैठक में हमने आपातकाल की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। साथ ही आपातकाल के दौरान आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (MISA) के तहत हिरासत में लिए गए लोगों के लिए हमारी NDMC उनके लिए एक कार्यक्रम आयोजित करेगी और हमारे लोकतंत्र में लड़ने वाले सभी लोगों के प्रति सम्मान दिखाएगी।”

उन्होंने कहा, “आपातकाल देश का एक काला अध्याय है, जब हमारे संविधान को कमजोर किया गया था। हम इसे कभी नहीं भूल सकते, और वही पार्टी जिसने अपने विरोधियों को जेल में डाला, आज पूरे संविधान के लिए रो रही है। यह बहुत शर्म की बात है।”

भारत में आपातकाल 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक 21 महीने तक चला था, जिसकी 25 जून को 50वीं वर्षगांठ है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑल इंडिया रेडियो पर एक राष्ट्रीय संबोधन में इसकी घोषणा की थी, जिसके कुछ ही घंटों बाद सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के उस फैसले पर सशर्त रोक लगा दी थी, जिसमें उनके लोकसभा चुनाव को अमान्य घोषित कर दिया गया था।

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