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MP में अब दैनिक वेतनभोगी, स्थायी कर्मी कर्मचारी कल्चर खत्म, सिर्फ 3 कैटेगरी

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार ने कर्मचारियों की 7 कैटेगरी (जिसमें दैनिक वेतन भोगी, अंशकालिक, कार्यभारित और स्थायी कर्मी सहित अन्य) खत्म कर दी हैं। अब, सिर्फ़ तीन कैटेगरी रहेंगी। नियमित, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारी।

मंगलवार को मंत्रालय में हुई कैबिनेट मीटिंग में यह भी तय किया गया कि अगर अभी काम कर रहे कार्यभारित कर्मचारी की सर्विस के दौरान मौत हो जाती है, तो उनके डिपेंडेंट को रेगुलर पोस्ट पर अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति दी जाएगी। पहले इस कैटेगरी में यह प्रोविज़न नहीं था। जिन कैटेगरी को खत्म करने का फैसला किया गया है, वे अपने रिटायरमेंट तक काम करते रहेंगे। उनके रिटायरमेंट के बाद वह पोस्ट अपने आप खत्म हो जाएगी। अगर विभाग को किसी कर्मचारी की जरूरत होगी, तो उस पोस्ट के लिए नियमित पोस्ट बनाई जाएगी और भर्ती की जाएगी। गौरतलब है कि दिग्विजय सिंह सरकार ने 2001 में दैनिक वेतन भोगी पद खत्म कर दिए थे।

कोर्ट में कैटेगरी बताने की जरूरत नहीं

सरकार का कहना है कि अभी, पोस्ट की अलग-अलग कैटेगरी होने की वजह से कोर्ट के मामलों में बहुत कन्फ्यूजन रहता है। नया सिस्टम लागू होने और संबंधित पोस्ट खत्म होने के बाद कोर्ट को कर्मचारी की कैटेगरी बताने की जरूरत नहीं होगी। इससे सरकार को बार-बार सुनवाई से छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा, परमानेंट और टेम्पररी कर्मचारियों के बीच का फर्क खत्म होने के बाद विभाग को अब हर साल टेम्पररी पोस्ट के लिए कैबिनेट से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी।

रेगुलर और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर फोकस

सरकार ने साफ कर दिया है कि नया सिस्टम लागू होने के बाद रेगुलर और कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों पर फोकस किया जाएगा। आउटसोर्स कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी नहीं माना जाता है। सरकार कंपनियों के जरिए इन कर्मचारियों की सर्विस लेती है।

मेट्रो के लिए 90.67 करोड़ का प्रोविजन

राज्य सरकार ने भोपाल और इंदौर मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के ऑपरेशन और मेंटेनेंस के लिए 90.67 करोड़ का प्रोविजन किया है। इस रकम का इस्तेमाल मेट्रो ऑपरेशन में होने वाले खर्चों को पूरा करने के लिए किया जाएगा। यह प्रपोज़ल अर्बन डेवलपमेंट और हाउसिंग डिपार्टमेंट ने पेश किया था। इस स्कीम में यह तय है कि इनकम और खर्च का खर्च राज्य सरकार को उठाना होगा। इसलिए कैबिनेट ने इस रकम को मंज़ूरी दे दी।

1782 करोड़ रुपये का सिंचाई पैकेज

नर्मदा वैली डेवलपमेंट डिपार्टमेंट के तहत अपर नर्मदा प्रोजेक्ट, राघवपुर मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट और बसानिया मल्टीपर्पस प्रोजेक्ट के तहत विस्थापन से प्रभावित लोगों के लिए एक स्पेशल पैकेज को मंज़ूरी दी गई है। इसमें पहले से तय बजट के अलावा 1782 करोड़ रुपये का स्पेशल पैकेज शामिल है। इससे अनूपपुर, मंडला और डिंडोरी ज़िलों में 5512 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट पूरे हो सकेंगे। 71967 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई होगी और 125 मेगावाट बिजली बनेगी।

कैबिनेट के अन्य निर्णय

वॉटर रिसोर्स डिपार्टमेंट में रिटायर्ड SDO वीके रावत से पेंशन की रकम वसूलने से जुड़े प्रपोज़ल को मंज़ूरी दी गई।

जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के तहत मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन में खाली पोस्ट भरने, राजभवन में रिटायर्ड कर्मचारी को एक साल के कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी देने और एडिशनल स्टेट प्रोटोकॉल ऑफिसर संजय सिंह चौहान को कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी देने को मंजूरी दी गई।

पब्लिक हेल्थ एंड मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट के तहत लोकायुक्त जांच मामले में डिपार्टमेंटल जांच के बाद मेडिकल कॉलेज दतिया के पूर्व डीन डॉ. राजेश गौड़ की पेंशन रोकने से जुड़े प्रस्ताव को मंजूरी दी गई।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास डिपार्टमेंट के तहत छतरपुर जिले की जनपद पंचायत राजनगर के पूर्व CEO बीके सिंह से रिटायरमेंट के बाद पेंशन की रिकवरी को मंजूरी दी गई।

पंचायत एवं ग्रामीण विकास डिपार्टमेंट के तहत मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं इंफ्रास्ट्रक्चर योजना के इंडेक्स और क्राइटेरिया पर चर्चा के दौरान योजना का इंडेक्स दो से बढ़ाकर तीन कर दिया गया। इसके बाद 693.76 करोड़ रुपये की लागत से 3810 काम किए जा सकेंगे।

मिनरल रिसोर्स डिपार्टमेंट के प्रस्ताव पर चर्चा के लिए मंज़ूरी दी गई, जिसमें डायरेक्टरेट बनाने और मिनरल सर्वे बनाने जैसी मिनरल स्कीमों को 2026-27 से 2030-31 तक बढ़ाने की बात कही गई थी।

फ़ूड, सिविल सप्लाइज़ और कंज्यूमर प्रोटेक्शन डिपार्टमेंट के तहत पब्लिक फंडेड स्कीमों को एडमिनिस्ट्रेटिव मंज़ूरी देने और जारी रखने से जुड़े मामलों को मंज़ूरी दी गई।

माइक्रो, स्मॉल और मीडियम एंटरप्राइजेज डिपार्टमेंट के प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री एंटरप्रेन्योरशिप क्रांति स्कीम को 2026-27 से आगे जारी रखने का फ़ैसला लिया गया। यह स्कीम पांच साल तक चलेगी और इसके लिए 905.25 करोड़ का एलोकेशन मंज़ूर किया गया है। इस स्कीम में 50,000 से 50 लाख तक के लोन दिए जाएंगे।

फॉरेस्ट साइंस सेंटर बनाने की एक नई स्कीम को एक प्रस्ताव के आधार पर मंज़ूरी दी गई है।

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