बिहार-झारखण्‍ड

इमामगंज सीट पर दांव पर मांझी की प्रतिष्ठा, बहू दीपा मांझी मैदान में

इमामगंज : गया ज़िले की इमामगंज (सुरक्षित) विधानसभा सीट बिहार विधानसभा आम निर्वाचन 2025 में सबसे चर्चित सीटों में से एक बन गई है। यह सीट अब केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख जीतन राम मांझी की प्रतिष्ठा से जुड़ी हुई मानी जा रही है।

 

 

इस सीट पर एनडीए समर्थित हम प्रत्याशी दीपा कुमारी मांझी जो जीतन राम मांझी की बहू और बिहार सरकार की निवर्तमान मंत्री संतोष कुमार सुमन की पत्नी हैं का मुकाबला महागठबंधन समर्थित राजद प्रत्याशी ऋतुप्रिया चौधरी से है। ऋतुप्रिया पहली बार चुनाव मैदान में उतरी हैं और किसी राजनीतिक परिवार से उनका संबंध नहीं है।

 

 

सामान्यतः आरक्षित सीटों में मतदाताओं का उत्साह कम रहता है, पर इमामगंज सीट अलग है। इसका कारण यह है कि इस सीट का प्रतिनिधित्व पहले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी जैसे दिग्गज नेताओं ने किया है, जिससे यह बिहार की सबसे हाई-प्रोफाइल सीटों में शुमार होती है।

 

 

वर्तमान में केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री जीतन राम मांझी प्रत्यक्ष रूप से भले इस सीट से उम्मीदवार न हों, लेकिन परोक्ष रूप से इस बार उनकी राजनीतिक प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। उन्होंने यह सीट अपनी बहू दीपा मांझी को सौंपकर परिवार की राजनीतिक विरासत बनाए रखने का प्रयास किया है।

 

 

कभी यह इलाका माओवादी गतिविधियों के लिए कुख्यात था और “मुक्त क्षेत्र” कहा जाता था, जहाँ सरकारी तंत्र की पहुँच सीमित थी। अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है बारूदी सुरंगों की जगह पक्की सड़कों और सुरक्षा चौकियों ने ले ली है।

 

 

हम पार्टी के पूर्व पिछड़ा प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संगठन सचिव प्रो. कौशलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि “जीतन राम मांझी ने पार्टी को परिवार केंद्रित संगठन बना दिया है। उन्होंने अपने परिवार को चार सीटें और ऊँची जाति के एक परिवार को दो सीटें दी हैं, जिससे समर्पित कार्यकर्ताओं में निराशा फैली है।”

 

 

इमामगंज के मतदाताओं का कहना है कि इस चुनाव में असली मुद्दा “मांझी बनाम बाकी सब” है। वरिष्ठ पत्रकार अब्दुल क़ादिर के अनुसार, “अंधा परिवारवाद” जीतन मांझी की राजनीति के लिए राजनीतिक पतन की वजह बन सकता है।

 

 

उम्मीदवार चयन के दौरान समर्पित कार्यकर्ताओं की जगह दीपा मांझी को टिकट दिए जाने से पार्टी में असंतोष बढ़ा है। अब मुकाबला दीपा मांझी, राजद प्रत्याशी ऋतुप्रिया चौधरी और जन सुराज पार्टी के डॉ. अजीत के बीच त्रिकोणीय होता दिख रहा है।

 

 

ऋतुप्रिया चौधरी, जो पेशे से वास्तुकार हैं और पिछड़ी जाति के युवक से प्रेम विवाह कर चुकी हैं, मांझी के पारंपरिक वोट बैंक में सेंध लगा सकती हैं।

 

 

स्थानीय मतदाताओं की पुरानी मांग है कि शेरघाटी को जिला घोषित किया जाए। मांझी एक वर्ष तक मुख्यमंत्री और अब केंद्रीय मंत्री रहे हैं, फिर भी यह मांग पूरी न होने से एनडीए कार्यकर्ताओं में नाराजगी है।

 

 

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि दीपा मांझी यह सीट हार जाती हैं, तो यह जीतन राम मांझी के राजनीतिक करियर का निर्णायक मोड़ साबित हो सकता है।

 

Related Articles

Back to top button