एग्जाम के बाद फीस वापस होगी, लेकिन कब ? रूपेश नागवंशी
एक अभिभावक की पीड़ा, एक प्रतियोगी परीक्षार्थी की पुकार
बलौदाबाजार – भाटापारा ।
प्रदेश मीडिया सचिव सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग छत्तीस गढ़ संयुक्त सचिव: छत्तीसगढ़ राज्य आदिम संस्कृति, कला एवं साहित्य संस्थान के पदाधिकारी रूपेश नागवंशी ने मीडिया को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि सरकार और व्यापम (व्यावसायिक परीक्षा मंडल) की ओर से बार-बार कहा गया था कि प्रतियोगी परीक्षाओं के बाद उम्मीदवारों की फीस वापस की जाएगी। यह घोषणा उन लाखों अभ्यर्थियों और उनके परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण थी, जो अपनी जेब काटकर, खेतों में मजदूरी करके, और कई बार कर्ज लेकर परीक्षा फीस भरते हैं।
लेकिन सवाल अब ये है की फीस कब वापस होगी ?हर साल व्यापम की परीक्षाएँ होती हैं — एक नहीं, दो नहीं, कई बार एक ही छात्र को 3–4 बार अलग-अलग परीक्षाएँ देनी पड़ती हैं। हर परीक्षा की फीस अलग, आवेदन अलग, तैयारी का तनाव अलग। ऊपर से बेरोजगारी और महँगाई का बोझ।आगे रूपेश नागवंशी ने कहा कि, खेती-मजदूरी करने वाले माँ-बाप जैसे-तैसे पैसे बचाकर अपने बच्चों की फीस भरते हैं। सरकार ने वादा किया था कि परीक्षा के बाद फीस वापस होगी, लेकिन अब महीनों गुजर चुके हैं, किसी को कोई जवाब नहीं मिल रहा। गरीब परिवारों के लिए यह सिर्फ पैसे की बात नहीं है, यह उनके सपनों और भरोसे की बात है।
गरीब अभिभावक की आँखें आज भी सड़क पर टिकी हैं।
गाँव का किसान हो या शहर का दिहाड़ी मज़दूर — जब उसका बेटा या बेटी कोई फॉर्म भरता है, तो पूरा घर पीछे लग जाता है। माँ बाप एक रोटी कम खाकर, एक दिन की पूरी रोजी 250-300 रूपये एग्जाम फीस के लिए दे देता है , ताकि बच्चा कुछ बन सके।लेकिन जब सरकार ही अपना वादा पूरा नहीं करते, उम्मीदें टूट जाती है।
परीक्षा शुल्क लौटाना कोई “राहत योजना” नहीं, ये हक़ है
सरकार को यह समझना होगा कि यह प्रतियोगी परीक्षार्थियों के लिए कोई छूट नही है। परीक्षा की फीस वापस करना हर एक उम्मीदवार का अधिकार है, खासकर तब जब वादा किया गया हो।
अभ्यर्थियों का शासन से आग्रह है कि:सरकार तुरंत एक टाइमलाइन जारी करे, जिसमें यह बताया जाए कि किस परीक्षा की फीस कब और कैसे वापस की जाएगी। ऑनलाइन पोर्टल पर ट्रैकिंग सुविधा दी जाए ताकि उम्मीदवार देख सकें कि उनका रिफंड प्रोसेस में है या नहीं।विषय में ऐसे नियमों को कड़ाई से लागू किया जाए, ताकि छात्रों और उनके परिवारों को मानसिक शांति मिल सके।सरकारें आती जाती रहती हैं, लेकिन एक किसान की उम्मीदें, एक माँ -बाप की दुआएँ और एक छात्र की मेहनत —
ये सब सिस्टम से एक ही चीज़ माँगते हैं न्याय और भरोसा।अगर आप फीस लौटाने का वादा करते हैं, तो उसे निभाइए। वरना अगली बार कोई गरीब माँ-बाप शायद अपने बच्चे को फार्म भरने से पहले सौ बार सोचेंगे।