
मुंबई। RBI ने ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने और धोखाधड़ी को कम करने के लिए आज से भुगतान एग्रीगेटर्स के लिए नए नियम लागू किए हैं। इसमें सख्त पात्रता, विवाद समाधान नीति और वित्तीय स्थिरता संबंधी आवश्यकताएँ शामिल हैं।
भुगतान एग्रीगेटर (PA) वे कंपनियाँ होती हैं जो व्यवसायों को विभिन्न बैंकों के माध्यम से ग्राहकों से भुगतान स्वीकार करने में मदद करती हैं। उदाहरण के लिए जब आप किसी बैंक से अपने क्रेडिट कार्ड या नेट बैंकिंग का उपयोग करके भुगतान करते हैं, तो भुगतान एग्रीगेटर ही वह पैसा एकत्र करता है और उस कंपनी को देता है, जिससे आप खरीदारी कर रहे हैं। ये कंपनियां ग्राहकों, उनके बैंकों और व्यापारियों के बीच एक सेतु का काम करती हैं।
RBI ने नए दिशा—निर्देश क्यों जारी किए?
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ऑनलाइन लेनदेन को और अधिक सुरक्षित बनाने और धोखाधड़ी की संभावनाओं को कम करने के लिए नए नियम लागू किए हैं। ये नए दिशा—निर्देश आज से लागू हो गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य ग्राहकों की बेहतर सुरक्षा करना और इन भुगतान कंपनियों के काम करने के तरीके में अधिक पारदर्शिता लाना है।
नई विवाद समाधान नीति अनिवार्य
नए दिशानिर्देशों के अनुसार, सभी भुगतान एग्रीगेटर्स को अब अपने बोर्ड द्वारा अनुमोदित एक विवाद समाधान नीति बनानी होगी। इस नीति में स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि धनवापसी कैसे की जाएगी और इसमें कितना समय लगेगा। इससे ग्राहकों के लिए पूरी धनवापसी प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष हो जाएगी, जिससे उन्हें डिजिटल भुगतान में अधिक विश्वास होगा।
नई कंपनियों के लिए सख्त नियम
जो कंपनियां भुगतान एग्रीगेटर के रूप में काम करना शुरू करना चाहती हैं, उन्हें अब आवेदन के समय ₹15 करोड़ की संपत्ति दिखानी होगी। लाइसेंस प्राप्त करने और 3 साल तक काम करने के बाद उन्हें अपनी निवल संपत्ति ₹25 करोड़ तक बढ़ानी होगी। यह नियम यह सुनिश्चित करेगा कि केवल वित्तीय रूप से मजबूत और स्थिर कंपनियां ही ऑनलाइन भुगतान संभाल सकें।
गैर-बैंकिंग कंपनियों को RBI की अनुमति की आवश्यकता
बैंकों को भुगतान एग्रीगेटर के रूप में कार्य करने के लिए RBI से विशेष अनुमति की आवश्यकता नहीं है। हालाँकि, गैर-बैंकिंग संस्थानों को ऐसी सेवाएँ प्रदान करने से पहले RBI से अनुमोदन लेना होगा। इसके अलावा अगर कोई कंपनी पहले से ही सेबी या आईआरडीएआई जैसी संस्थाओं द्वारा विनियमित है, तो उसे पहले अपने नियामक से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करना होगा। भुगतान एग्रीगेटर के रूप में काम शुरू करने से पहले, उसे 45 दिनों के भीतर आरबीआई को यह एनओसी जमा करनी होगी।
भुगतान एग्रीगेटर्स द्वारा लेनदेन की कोई सीमा नहीं
एक और महत्वपूर्ण नियम यह है कि भुगतान एग्रीगेटर स्वयं कोई लेनदेन सीमा निर्धारित नहीं कर सकते। केवल बैंक ही किसी लेनदेन में भुगतान की जाने वाली राशि की सीमा निर्धारित कर सकते हैं। इससे यह सुनिश्चित होता है कि एग्रीगेटर भुगतानों को अनुचित रूप से प्रतिबंधित नहीं कर सकते।
इन नए दिशानिर्देशों के साथ आरबीआई डिजिटल भुगतान प्रणाली को सभी के लिए अधिक सुरक्षित और विश्वसनीय बनाने का प्रयास कर रहा है। कंपनियों को स्पष्ट नीतियों और वित्तीय नियमों का पालन करने के लिए बाध्य करके, और बेहतर धनवापसी एवं विवाद प्रक्रियाओं के साथ ग्राहकों की सुरक्षा करके आरबीआई धोखाधड़ी को कम करने और ऑनलाइन भुगतान में विश्वास बढ़ाने की उम्मीद करता है।