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अंतरराष्ट्रीय फेस्टिवल में चमके छत्तीसगढ़ के सबसे युवा निर्देशक

28 वर्ष की आयु में अंतरराष्ट्रीय चयन पाने वाले छत्तीसगढ़ के सबसे युवा निर्देशक बने एस अंशु

छत्तीसगढ़, बलौदाबाजार-भाटापारा

छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत और समाजसेवी परंपरा को अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिलाते हुए डॉक्यूमेंट्री फिल्म “छत्तीसगढ़ के भीम : चिंताराम” ने वैश्विक स्तर पर उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। समाजसेवी और

जननायक दाऊ चिंताराम टिकरिहा के जीवन पर आधारित इस फिल्म का चयन एक ही माह में दो अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सवों इजिप्शियन अमेरिकन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, न्यूयॉर्क (अमेरिका) तथा फिल्म्स दैट मूव इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल, जमैका में हुआ है। इस उपलब्धि ने न केवल फिल्म को अंतरराष्ट्रीय मंच पर सम्मान दिलाया है, बल्कि इसके निर्देशक एस अंशु को छत्तीसगढ़ का सबसे युवा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चयनित फिल्म निर्देशक भी बना दिया है।

बलौदाबाजार के 28 वर्षीय एस अंशु ने वह उपलब्धि प्राप्त की है जो लगभग चार वर्ष पूर्व नीरज ग्वाल के नाम थी, जब उनकी फिल्म 30 वर्ष की आयु में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुँची थी। अब यह कीर्तिमान एस अंशु के नाम दर्ज हो चुका है, जो छत्तीसगढ़ी फिल्म जगत में नई पीढ़ी की रचनात्मक क्षमता और उभरती प्रतिभा का स्पष्ट प्रतीक है।

इजिप्शियन अमेरिकन इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में इस वर्ष 154 देशों से कुल 2974 फिल्मों की प्रविष्टियाँ प्राप्त हुई थीं, जिनमें से केवल 8 भारतीय फिल्मों को अंतिम सूची में स्थान मिला। इन्हीं में डॉक्यूमेंट्री “छत्तीसगढ़ के भीम : चिंताराम” भी शामिल रही। फिल्म का प्रदर्शन 2 नवम्बर 2025 को न्यूयॉर्क के स्टेटन आइलैंड स्थित सेंटर फ़ॉर द आर्ट्स परफ़ॉर्मिंग थिएटर में किया गया, जहाँ विभिन्न देशों से आए फिल्मकारों और समीक्षकों ने इसकी संवेदनशील कथा, शोध की गहराई और प्रभावशाली प्रस्तुति की विशेष सराहना की। इसी माह जमैका में आयोजित फिल्म्स दैट मूव इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भी इस फिल्म का चयन हुआ। इस फेस्टिवल में विश्वभर 94 देशों से 1956 फिल्मों ने भाग लिया था, जिनमें “छत्तीसगढ़ के भीम : चिंताराम” भारत से चयनित होने वाली चुनिंदा फिल्मों में से एक रही। यह चयन छत्तीसगढ़ के लिए गर्व का विषय बना हुआ है।
इस डॉक्यूमेंट्री पर कार्य करते हुए निर्देशक एस अंशु ने लगभग नौ वर्षों तक शोध किया, तीन वर्षों तक निरंतर फिल्मांकन किया तथा कुल 245 लोगों के साक्षात्कार लिए। दाऊ चिंताराम टिकरिहा के समाजसेवी कार्य, शिक्षा के प्रति समर्पण, गरीब बच्चों की सहायता, निर्धन परिवारों के विवाह और अंतिम संस्कार में योगदान, तथा प्रसिद्ध तुरतुरिया मंदिर के जीर्णोद्धार जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को उन्होंने गहराई और संवेदनशीलता से प्रस्तुत किया है। अंतरराष्ट्रीय चयन पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए निर्देशक एस अंशु ने कहा कि यह उपलब्धि केवल उनकी नहीं, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ की है। उन्होंने कहा कि दाऊ श्री चिंताराम जैसे महान व्यक्तित्व की कहानी को विश्व स्तर तक पहुँचाना उनके लिए गर्व और सम्मान की बात है।
दो अंतरराष्ट्रीय चयन और न्यूयॉर्क में सफल स्क्रीनिंग के साथ “छत्तीसगढ़ के भीम : चिंताराम” ने यह सिद्ध किया है कि सच्ची, मानवीय और प्रेरक कहानियाँ सीमाओं के पार भी अपनी गहरी छाप छोड़ती हैं

इस उपलब्धि ने छत्तीसगढ़ की कला, संस्कृति और मानवीय मूल्यों को वैश्विक मंच पर नई प्रतिष्ठा प्रदान की है।

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