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वंदे मातरम् केवल गीत नहीं, भारत माता की आराधना का गौरव गीत है” – राज्यमंत्री

राजगढ़,
शुक्रवार को “वंदे मातरम्” गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में जिले में विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह गीत, जिसे 1875 में बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने रचा था, भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की आत्मा बन गया। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध उपन्यास आनंदमठ में इस गीत को स्थान दिया, जिसने भारतवासियों में राष्ट्रभक्ति, त्याग और मातृभूमि के प्रति समर्पण की भावना को प्रज्वलित किया। “वंदे मातरम्” गीत पहली बार 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में गाया गया था। इसके पश्चात यह गीत स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गया और असंख्य देशभक्तों को मातृभूमि के लिए बलिदान देने की प्रेरणा प्रदान की।

कार्यक्रम के शुभारंभ पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस अवसर पर दिए गए प्रेरक उद्बोधन का लाइव प्रसारण ऑनलाइन दिखाया व सुनाया गया। प्रधानमंत्री श्री मोदी के संबोधन के दौरान “वंदे मातरम्” गीत के 150 वर्ष पूर्ण होने पर एक स्मारक सिक्का एवं डाक टिकट का विमोचन और अनावरण किया गया। साथ ही, संस्कृति मंत्रालय द्वारा एक विशेष पोर्टल www.vandemataram150.in का शुभारंभ भी किया गया। जहाँ नागरिक अपने द्वारा गाए गए “वंदे मातरम्” गीत का वीडियो अपलोड कर डिजिटल प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं।

मुख्य कार्यक्रम में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) मछुआ कल्याण एवं मत्स्य विकास विभाग श्री नारायण सिंह पंवार मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में उनका स्वागत स्थानीय विद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा स्कूल बैंड की मधुर देशभक्ति धुनों के साथ किया गया। जिसने पूरे परिसर में देशभक्ति का वातावरण निर्मित किया।

राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पंवार ने अपने प्रेरणादायी उद्बोधन में “वंदे मातरम्” गीत के इतिहास, महत्व और अमूल्य योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि
“वंदे मातरम्’ कोई साधारण रचना नहीं, यह भारत माता के चरणों में अर्पित एक कृष्णसरी (अमूल्य) गीत है, जिसने आज़ादी की लड़ाई में असंख्य वीरों के हृदय में बलिदान की ज्योति प्रज्वलित की। यह गीत मातृभूमि की माटी से जुड़ा हुआ वह भाव है, जिसने गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने का साहस दिया।” उन्होंने आगे कहा कि “यह गीत वास्तव में ‘गौरव गीत’ है। हमारी मातृभूमि के सम्मान का प्रतीक। बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने इसे अपने उपन्यास ‘आनंदमठ’ में लिखा था, जहाँ ‘वंदे मातरम्’ का अर्थ है — ‘हे माँ, तुझे प्रणाम’। यह गीत भारत माता के प्रति श्रद्धा, समर्पण और गौरव का भाव प्रकट करता है।”

साथ ही राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पंवार ने कहा कि नई पीढ़ी को इस गीत के महत्व और भावना को गहराई से समझना चाहिए, क्योंकि यही गीत राष्ट्रप्रेम, एकता और त्याग के मूल भावों को जीवित रखता है।उन्होंने बताया कि देशभर में यह समारोह राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम से आरंभ हुआ है, जहाँ भारत सरकार ने इस स्मरणोत्सव वर्ष की शुरुआत की। यह आयोजन एक वर्ष तक चलने वाले “राष्ट्रीय उत्सव” की औपचारिक शुरुआत का प्रतीक है, जो 7 नवम्बर 2026 तक चलेगा।

कार्यक्रम में कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा एवं पुलिस अधीक्षक अमित तोलानी भी उपस्थित रहे। दोनों अधिकारियों ने राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पंवार मंत्री के साथ “वंदे मातरम्” गीत की पंक्तियों के माध्यम से राष्ट्रभक्ति और एकता का संदेश दिया।

अंत में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नारायण सिंह पंवार ने सभी नागरिकों से आह्वान किया कि वे “वंदे मातरम्” की भावना को हृदय में संजोकर राष्ट्र की प्रगति और एकता में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएँ। साथ ही आयोजित कार्यक्रम में उपस्थित सभी जन प्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा सामूहिक रूप से वंदे मातरम गीत का गायन भी किया गया।

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