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देश में कम हो रहे शराबी, मध्य वर्ग की पसंद प्रीमियम ब्रांड

नई दिल्ली। गुजरात, बिहार सहित देश के कई राज्यों में शराबबंदी के बाद भी भले ही कई राज्य इस दिशा में कदम बढ़ाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं, लेकिन देश में शराब पीने वालों की संख्या में कमी देखी गई है। शराब बिक्री के आंकड़े यही बता रहे हैं। हालांकि, अगर शराब की बिक्री में गिरावट के पीछे कई कारण हैं।
इंटरनेशनल अल्कोहल रिसर्च कंपनी आईडब्ल्यूएसआर के मुताबिक, साल 2024 में दुनिया भर के टॉप लिकर मार्केट्स में 1-2 फीसदी की कमी देखी गई। यानी करीब 300 मिलियन 9 लीटर की बोतलों की बिक्री कम हुई। भारत और चीन जैसे बड़े देशों से उम्मीद थी कि वो इस गिरावट की भरपाई करेंगे, लेकिन वहां भी आंकड़े उम्मीद के मुताबिक, नहीं रहे। यही वजह रही कि इन दोनों देशों में लिकर इंडस्ट्री से जितनी कमाई की उम्मीद थी वो पूरा नहीं हो पाया। कंपनी की सीओओ एमिली नील ने कहा कि भारत का प्रदर्शन बाकी देशों से बेहतर रहा, लेकिन जितना सोचा गया था, उतना असर नहीं दिखा।

भारत में इसलिए कम बिकी शराब
भारत में शराब बिक्री को काफी अहम माना जाता है। यहां बढ़ती आबादी, मध्य वर्ग और बदलती जीवनशैली को देखकर माना जा रहा था कि शराब की बिक्री भी जरूर बढ़ेगी। यही नहीं अधिकतर शहरों में नए-नए बार्स, गांवों में ठेके और हर गली में नई दुकानें की बढ़ती संख्या यही बता रहे थे कि शराब का मार्केट जोर पकड़ रहा है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।
दरअसल, हुआ यह कि अल्कोहल इंडस्ट्री का ग्राफ ही नीचे गिर गया।

रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि बढ़ती महंगाई और कम सैलरी ग्रोथ की वजह से लोगों के पास खर्च करने के लिए ज्यादा पैसे नहीं बचे। यही कारण है कि लोगों ने महंगी ब्रांड की जगह सस्ती शराब लेना शुरू कर दिया या फिर पीना ही कम कर दिया। 2023 में जहां शराब की बिक्री में 4.5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी, वहीं 2024 में यह घटकर सिर्फ 2.2 फीसदी ही रह गई। हालांकि, इस गिरते सेल्स के बीच एक पॉजिटिव ट्रेंड ये रहा कि प्रीमियम यानी महंगी और ब्रांडेड शराब की मांग बढ़ी। लोग अब कम पी रहे हैं, लेकिन अच्छा पीना चाहते हैं।

ज्यादातर कंपनियां अब ज्यादा वैल्यू वाले प्रोडक्ट्स पर फोकस कर रही हैं। बैकार्डी इंडिया के एमडी ने कहा, हमारी बिक्री वैल्यू के हिसाब से डबल डिजिट में बढ़ रही है, इसकी वजह लोग अब महंगे प्रोडक्ट्स खरीद रहे हैं। हालांकि, अभी भी कई राज्यों में दरें में वृद्धि की मंजूरी नहीं मिली है, जो हमारे लिए चुनौती है।

विदेशी ब्रांड में टक्कर
पहले लोग सिर्फ विदेशी स्कॉच को स्टेटस सिंबल मानते थे, लेकिन अब देसी सिंगल माल्ट भी उनकी पसंद में आ गए हैं। कई स्थानीय ब्रांड्स अब क्वालिटी और कीमत दोनों में बाहर से आने वाले ब्रांड्स को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। लिकर इंडस्ट्री से जुडे लोगों का कहना है कि लोग अब सिर्फ शादियों या त्योहारों में ही नहीं, रेगुलर बेसिस पर भी प्रीमियम शराब पसंद कर रहे हैं। इंडस्ट्री का मूड अच्छा है और हमें लगता है कि आने वाले महीनों में डिमांड और भी बढ़ेगी।

भारत में 30 करोड़ लोग पीते हैं शराब
आबादी के लिहाज से दुनिया के सबसे बड़े देश भारत में शराब पीने वालों की संख्या सिर्फ 30 करोड़ ही है। इनमें से भी करीब 15 करोड़ लोग बिना ब्रांड वाली सस्ती देसी शराब पीते हैं। बाकी 15 करोड़ मिडिल क्लास है, जो अब प्रीमियम प्रोडक्ट्स की तरफ बढ़ रहा है। लिकर इंडस्ट्री में आई इस गिरावट के पीछे वजह चाहे जो भी हो, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि अब भारतीय प्रीमियम ब्रांड्स की ओर बढ़ रहे हैं।

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