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दिवाली से पहले जीएसटी में बदलाव, सितंबर अंत तक हो सकता है लागू

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चेन्नई। केंद्र सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में आमूलचूल परिवर्तन की अपनी योजना पर तेज़ी से आगे बढ़ रही है और बहुप्रतीक्षित दरों में कटौती दिवाली तक इंतज़ार करने के बजाय उम्मीद से पहले हो सकती है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इसे सितंबर के अंत में लागू किया जा सकता है, जो नवरात्रि के त्योहारी सीज़न की शुरुआत के साथ होगा।

उद्योग सूत्रों के अनुसार, कार्यान्वयन में किसी भी देरी से बाजारों को नुकसान हो सकता है, क्योंकि कई लोगों ने पहले ही खरीदारी टाल दी है। इसलिए, इसे पहले लागू करने का यह कदम उद्योग की उम्मीदों के अनुरूप है।

यह सुधार जिसे अक्सर “जीएसटी 2.0” कहा जाता है, 2017 में इस कर की शुरुआत के बाद से सबसे बड़े बदलावों में से एक होगा। इसका मुख्य उद्देश्य मौजूदा चार कर स्लैब (5%, 12%, 18% और 28%) को दो मुख्य स्लैब में घटाकर संरचना को सरल बनाना है—आवश्यक वस्तुओं के लिए 5% और अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के लिए 18%, 40% की उच्च दर केवल विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर ही रहेगी।

इस बदलाव से रोज़मर्रा की चीज़ें सस्ती होने की उम्मीद है। 12% श्रेणी के लगभग सभी उत्पाद 5% पर आ सकते हैं और 28% श्रेणी के ज़्यादातर उत्पाद 18% तक गिर सकते हैं। इसका मतलब है कि त्योहारों की खरीदारी के दौरान उपभोक्ताओं को फ़र्क़ महसूस होगा, क्योंकि घरेलू उपकरणों से लेकर पैकेज्ड खाने-पीने की चीज़ों तक, सभी की क़ीमतें कम होने की संभावना है।

रिपोर्ट्स के अनुसार, जीएसटी परिषद 3-4 सितंबर को बैठक करेगी, जो सितंबर के अंत में पहले घोषित समय-सीमा से पहले होगी, ताकि विवरणों को अंतिम रूप दिया जा सके। अगर मंज़ूरी मिल जाती है, तो नई दरें जल्दी से अधिसूचित की जा सकती हैं और 22 सितंबर तक, यानी नवरात्रि के ठीक समय पर लागू हो सकती हैं।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ये सुधार उपभोग को मज़बूती से बढ़ावा दे सकते हैं और आने वाले वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में लगभग 0.6 प्रतिशत अंक जोड़ सकते हैं। लेकिन इस कदम से सरकारी राजस्व पर सालाना लगभग 20 अरब डॉलर का असर भी पड़ेगा। केंद्र को उम्मीद है कि ज़्यादा खर्च और बेहतर अनुपालन से इस नुकसान की आंशिक रूप से भरपाई हो जाएगी।

ज़्यादातर राज्यों ने इस योजना का स्वागत किया है, हालांकि कुछ ने अपने अनुमानित राजस्व घाटे की भरपाई के लिए मुआवज़े की मांग की है। इस बीच सरकार स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने पर भी विचार कर रही है, जिससे पॉलिसीधारकों की लागत कम हो सकती है।

बाजार में खुदरा विक्रेता और उपभोक्ता दोनों ही स्पष्टता का इंतज़ार कर रहे हैं। कई खरीदार पहले ही अपनी त्योहारी खरीदारी टाल चुके हैं, उन्हें उम्मीद है कि नई दरें लागू होने पर कीमतें कम होंगी। व्यवसायों का मानना ​​है कि नवरात्रि से पहले इसे लागू करने से माँग में सुधार होगा और त्योहारी बिक्री को बढ़ावा मिलेगा।

अगर सब कुछ योजना के अनुसार रहा, तो परिवारों पर कर का बोझ कम हो सकता है और दिवाली से पहले ही व्यवसायों की मांग बढ़ सकती है, जिससे त्योहारी सीज़न और भी ज़्यादा जीवंत हो सकता है।

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