
नई दिल्ली। आव्रजन ब्यूरो (बीओआई) ने सोमवार को लोकसभा में आंकड़े पेश किए, जिनसे पता चलता है कि 2024 में 7.6 लाख से ज्यादा भारतीयों ने विदेश में पढ़ाई की। ये आंकड़े शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने सांसद पीसी मोहन द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में प्रस्तुत किए।
मजूमदार ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय विदेश जाने वाले छात्रों का सीधा रिकॉर्ड नहीं रखता। बीओआई के आंकड़े, जो 2023 की तुलना में थोड़ी कमी दर्शाते हैं, जब विदेश जाने वाले छात्रों की संख्या सबसे अधिक लगभग 8.95 लाख थी, एक विश्वसनीय अनुमान प्रदान करते हैं।
पिछले वर्ष के आंकड़े
साल-दर-साल आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि पिछले पांच वर्षों में विदेश में शिक्षा लेने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। 2020 में लगभग 2.6 लाख छात्र अपनी शिक्षा आगे बढ़ाने के लिए विदेश गए। यह आंकड़ा 2021 में बढ़कर 4.45 लाख, 2022 में 7.52 लाख और 2023 में 8.94 लाख के साथ अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया और फिर पिछले साल मामूली गिरावट के साथ 7.6 लाख पर आ गया।
विदेश में भारतीय छात्रों के लिए सेवाएं
प्रशासन ने दावा किया है कि उसने छात्रों की गतिशीलता से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए इस प्रक्रिया को सुगम बनाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इनमें शैक्षणिक योग्यता को मान्यता देना, वीजा मंजूरी में तेजी लाना और विदेशी देशों के साथ प्रवासन एवं गतिशीलता साझेदारी समझौतों पर बातचीत करना शामिल है।
भारतीय समुदाय कल्याण कोष (ICWF) की स्थापना विदेश में भारतीय मिशनों द्वारा ज़रूरतमंद छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए की गई थी। यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनकी शिकायतों का शीघ्र समाधान हो, सरकार ने छात्रों से भारतीय मिशनों में पंजीकरण कराने और MADAD वेबसाइट का उपयोग करने का भी आग्रह किया है।
ये आंकड़े भारतीय युवाओं की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं और उन्हें विदेश में सुरक्षा और सहायता प्रदान करने में आने वाली चुनौतियों, दोनों को दर्शाते हैं, खासकर यह देखते हुए कि भारत तेज़ी से विदेशी छात्रों के सबसे बड़े स्रोतों में से एक बनता जा रहा है।