CAG रिपोर्ट : बिना कागजात के डिस्टिलरियों को ₹358 करोड़ लौटाए

भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शराब निर्माताओं और डिस्टिलरियों को दिए गए एक्स-डिस्टिलरी प्राइस (EDP) में एक बड़ी अनियमितता सामने आई है। CAG ने मई 2019 से दिसंबर 2020 तक EDP में 358 करोड़ रुपए के विनियोजन का पता लगाया है। शराब निर्माता और डिस्टिलरियां शराब को गोदामों तक पहुंचाती हैं।
शराब की दुकानों के मालिक सरकार को सभी आवश्यक भुगतान करने के बाद गोदामों से इसे प्राप्त करते हैं। शराब निर्माता और डिस्टिलरियाँ सरकार से EDP रिफंड का दावा करती हैं। दस्तावेजों के आधार पर सरकार इसे वापस करती है। CAG को यह तथ्य पता चला है कि आबकारी आयुक्त को शराब निर्माताओं और डिस्टिलरियों द्वारा किया गया कोई दावा प्राप्त नहीं हुआ।
आबकारी आयुक्त इस बारे में कुछ नहीं बता सके कि उन्होंने रिफंड कैसे और क्यों किया। ईडीपी के रूप में दी गई राशि खुदरा लाइसेंस धारकों द्वारा प्रदान की गई थी या नहीं, इसका कोई प्रमाणिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं थे।
कैग ने शराब निर्माताओं और डिस्टिलरियों द्वारा वास्तविक दावा किए बिना ही रिफंड किए जाने पर भी आपत्ति जताई। कैग के अनुसार, भुगतान को उचित ठहराने के लिए सभी दस्तावेज उपलब्ध होने चाहिए थे। भुगतान का मिलान राजकोषीय रिकॉर्ड से किया जाना चाहिए।
नर्मदापुरम में फर्जी बैंक गारंटी
कैग रिपोर्ट में नर्मदापुरम में एक बैंक गारंटी मामले को भी उजागर किया गया है। 19 लाइसेंस धारकों के नाम पर जारी 18.39 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी प्रमाणित नहीं थी। कुछ व्यक्तियों के नाम पर बैंक गारंटी जारी की गई थी, लेकिन अन्य लोगों ने ठेकों के लिए आवेदन किया था।
आबकारी विभाग ने बैंक गारंटी को प्रमाणित नहीं किया। कैग ने मामले की जांच की सिफारिश की। कैग ने सरकार से फर्जी बैंक गारंटी मामले में लाइसेंस धारकों और बैंक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच करने को कहा है।