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भारत के 70 प्रतिशत बुजुर्ग आत्मनिर्भर, मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक अलगाव बढ़ रहा: रिपोर्ट

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नई दिल्ली। एक नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत की लगभग 70 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी आर्थिक रूप से निर्भर है और कई लोग सेवानिवृत्ति के बाद भी जीविका चलाने के लिए काम करते रहते हैं। “भारत में वृद्धावस्था: चुनौतियां और अवसर” नामक यह अध्ययन संकल्प फाउंडेशन द्वारा नीति आयोग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के साथ साझेदारी में जारी किया गया है।

यह अध्ययन भारत में दीर्घकालिक वृद्धावस्था अध्ययन (LASI) के निष्कर्षों पर आधारित है, जो भारत की तेज़ी से बूढ़ी होती आबादी का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है। जीवन प्रत्याशा में सुधार के बावजूद रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कई बुजुर्ग भारतीय आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी असुरक्षाओं के साथ जी रहे हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 6.4 प्रतिशत बुजुर्गों ने अपने भोजन का आकार कम कर दिया, 5.6 प्रतिशत बिना खाए भूखे रह गए और 4.2 प्रतिशत ने पिछले वर्ष में कम से कम एक बार पूरे दिन कुछ नहीं खाया।

ओडिशा (37.1 प्रतिशत) और उत्तर प्रदेश (36.6 प्रतिशत) में कम वजन वाले बुज़ुर्गों की संख्या सबसे ज़्यादा पाई गई, जबकि दादरा और नगर हवेली 40.1 प्रतिशत के साथ केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे आगे रहा।

पंजाब (28 प्रतिशत) और चंडीगढ़ (21.5 प्रतिशत) में ज़्यादा वजन और मोटापा सबसे ज़्यादा पाया गया। 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के 35.6 प्रतिशत लोग हृदय रोग, 32 प्रतिशत उच्च रक्तचाप और 13.2 प्रतिशत मधुमेह से प्रभावित हैं।

गोवा और केरल में हृदय रोग की दर सबसे ज़्यादा (क्रमशः 60 प्रतिशत और 57 प्रतिशत) है, जबकि मधुमेह केरल (35 प्रतिशत), पुडुचेरी (28 प्रतिशत) और दिल्ली (26 प्रतिशत) में सबसे ज़्यादा है।

हड्डियों और जोड़ों की समस्याएं भी चिंता का विषय हैं, जहां 19 प्रतिशत बुज़ुर्ग ऐसी समस्याओं से पीड़ित हैं। तेलंगाना में सबसे ज़्यादा 33 प्रतिशत मामले पाए गए, जबकि गठिया के मामले सबसे ज़्यादा जम्मू और कश्मीर (22 प्रतिशत) और सभी दक्षिणी राज्यों में पाए गए।

मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। 30 प्रतिशत बुज़ुर्ग अवसादग्रस्त लक्षणों का अनुभव कर रहे हैं और 8 प्रतिशत में संभावित गंभीर अवसाद के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। रिपोर्ट में स्व-रिपोर्ट किए गए और चिकित्सकीय रूप से जांचे गए मामलों के बीच 10 प्रतिशत का अंतर बताया गया है, जो कम निदान का संकेत देता है।

बुज़ुर्ग महिलाएं, विशेष रूप से विधवाएं और दुर्व्यवहार या गरीबी का सामना करने वाली महिलाएं असमान रूप से प्रभावित होती हैं। सामाजिक अलगाव बढ़ रहा है, 18.7 प्रतिशत बुज़ुर्ग महिलाएं और 5.1 प्रतिशत पुरुष अब अकेले रह रहे हैं। संयुक्त परिवार के ढांचे के क्षरण ने खासकर बुज़ुर्ग महिलाओं में अकेलेपन को और बढ़ा दिया है।

केरल में बुज़ुर्गों के बीच 65 प्रतिशत स्मार्टफ़ोन की पहुंच पाई गई। आयु-आधारित भेदभाव प्रचलित है। खासकर दिल्ली में जहां 12.9 प्रतिशत बुज़ुर्ग उत्तरदाताओं ने एक प्रकार के भेदभाव का अनुभव होने की बात कही और 12.3 प्रतिशत ने दो या दो से अधिक प्रकार के भेदभाव का सामना करने की बात कही।

दस में से एक बुज़ुर्ग को लगता है कि भेदभाव का मुख्य कारण उम्र है, जबकि ग्रामीण और गरीब बुज़ुर्ग ज़्यादा असुरक्षित हैं। 2021 तक केरल 60 वर्ष से अधिक आयु की 16.5 प्रतिशत आबादी के साथ इस सूची में शीर्ष पर बना हुआ है, उसके बाद तमिलनाडु (13.6 प्रतिशत), हिमाचल प्रदेश (13.1 प्रतिशत) और पंजाब (12.6 प्रतिशत) का स्थान है। बिहार (7.7 प्रतिशत), उत्तर प्रदेश (8.1 प्रतिशत) और असम (8.2 प्रतिशत) में यह अनुपात सबसे कम है।

हालांकि केंद्र सरकार ने 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों के लिए आयुष्मान भारत कवरेज का विस्तार करने जैसे कदम उठाए हैं। रिपोर्ट में अधिक अंतर-मंत्रालयी समन्वय, घर-आधारित देखभाल में निवेश और आयु-अनुकूल बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता पर बल दिया गया है। इसमें आयुवाद को चुनौती देने और वृद्ध नागरिकों के सामाजिक समावेशन को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक अभियानों की भी वकालत की गई है।

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