2025 में बैंक धोखाधड़ी में गिरावट, लेकिन राशि 3 गुना बढ़ा: RBI

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 में रिपोर्ट किए गए बैंक धोखाधड़ी की संख्या में गिरावट के बावजूद इन धोखाधड़ी में शामिल कुल मूल्य पिछले वर्ष की तुलना में लगभग तीन गुना हो गया है। यह वृद्धि मुख्य रूप से उचित प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पहले के मामलों के पुनर्वर्गीकरण और नए सिरे से रिपोर्टिंग के कारण है।
वर्ष के दौरान कुल 23,953 धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए, जो 2023-24 में 36,060 से कम है। हालांकि, इसमें शामिल राशि 12,230 करोड़ रुपए से बढ़कर 36,014 करोड़ रुपए हो गई। यह उछाल मुख्य रूप से 18,674 करोड़ रुपए की राशि के 122 पूर्व वापस लिए गए मामलों को फिर से शुरू करने के कारण है, जो धोखाधड़ी को नामित करने से पहले प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के मार्च 2023 के फैसले के अनुरूप पुनर्परीक्षण के बाद है।
निजी क्षेत्र के बैंकों में धोखाधड़ी के सबसे अधिक 14,233 मामले हुए, लेकिन कुल राशि में उनकी हिस्सेदारी केवल 28% थी। इसके विपरीत 6,935 धोखाधड़ी के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक शामिल मूल्य के 71% के लिए जिम्मेदार थे, जो उनकी ऋण पुस्तकों के बड़े आकार और जटिलता को दर्शाता है। विदेशी बैंक, छोटे वित्त बैंक और भुगतान बैंक मिलकर कुल धोखाधड़ी मूल्य का 1% से भी कम हिस्सा बनाते हैं।
RBI ने नोट किया कि ऋण-संबंधी धोखाधड़ी (अग्रिम) मूल्य का 92% हिस्सा है। हालांकि वे केवल 33% मामलों का गठन करते हैं। इसके विपरीत, डिजिटल भुगतान धोखाधड़ी (कार्ड/इंटरनेट) संख्या में सबसे अधिक थी, जिसमें कुल मामलों का 56.5% शामिल था, लेकिन मूल्य का केवल 1.4% था। जमा, विदेशी मुद्रा और अंतर-शाखा खाता धोखाधड़ी अपेक्षाकृत छोटे पैमाने पर रही।
इन प्रवृत्तियों के जवाब में, RBI ने नए धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन निर्देश पेश किए हैं। प्रमुख उपायों में प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को सुदृढ़ करना, खातों की सख्त लाल झंडी और प्राकृतिक न्याय सिद्धांतों का अनिवार्य पालन शामिल है। एक नया पर्यवेक्षी विश्लेषण समूह धोखाधड़ी भेद्यता और उधारकर्ता जोखिम मॉडल विकसित करने के लिए AI और मशीन लर्निंग का भी लाभ उठा रहा है। इसके अतिरिक्त शहरी सहकारी बैंकों को CERT-In पैनल वाली फर्मों द्वारा साइबर सुरक्षा ऑडिट से गुजरने और मजबूत डिजिटल भुगतान सुरक्षा उपायों को लागू करने का निर्देश दिया गया है।
2025-26 के लिए RBI धोखाधड़ी और डिजिटल सेवा अपटाइम की निगरानी करने, वित्तीय संस्थाओं में साइबर लचीलापन बढ़ाने और डिजिटल फोरेंसिक तत्परता पर नए दिशानिर्देश जारी करने के लिए वास्तविक समय के डिजिटल डैशबोर्ड शुरू करने की योजना बना रहा है। प्रणालीगत पर्यवेक्षण और तकनीकी हस्तक्षेप दोनों पर केंद्रीय बैंक का गहन ध्यान एक बढ़ती मान्यता को रेखांकित करता है। बैंकिंग धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ाई अब केवल अपराधियों को पकड़ने के बारे में नहीं है, बल्कि लचीले, वास्तविक समय के बचाव के निर्माण के बारे में है।