जिला चिकित्सालय शहडोल की एसएनसीयू ने रचा कीर्तिमान, सतमासे नवजात को मिला नया जीवन

शहडोल। जिला चिकित्सालय शहडोल की गहन शिशु चिकित्सा इकाई (एसएनसीयू) ने एक बार फिर अपनी विशेषज्ञता और समर्पण का परिचय देते हुए समय से पूर्व जन्मे सतमासे नवजात को नया जीवन देने में सफलता हासिल की है। महज सात माह में जन्मे और केवल एक किलो वजन वाले इस नवजात की हालत बेहद नाजुक थी, लेकिन एसएनसीयू की टीम ने 46 दिनों के सतत उपचार के बाद उसे स्वस्थ अवस्था में परिजनों को सौंप दिया।
डिंडोरी जिले के निवासी राहुल खैरवार एवं उनकी पत्नी सावित्री खैरवार का प्रसव शहडोल के एक निजी अस्पताल में हुआ, जहां सतमासे बच्चे का जन्म हुआ। जन्म के बाद नवजात को सांस लेने में गंभीर परेशानी होने लगी, जिसके चलते उसे तत्काल हायर सेंटर रेफर किया गया। दंपत्ति ने नवजात को जिला चिकित्सालय शहडोल की एसएनसीयू में भर्ती कराया, जहां उपचार की चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया शुरू हुई।
एसएनसीयू में भर्ती के समय नवजात के फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं थे और संक्रमण का खतरा भी बना हुआ था। डॉक्टरों ने पहले ही दिन से बच्चे को रेस्पिरेटरी सपोर्ट पर रखा और कमजोर फेफड़ों को सही तरीके से फैलाने के लिए सरफेक्टेंट दिया गया। परिजनों को नवजात की नाजुक स्थिति और संभावित जटिलताओं की लगातार जानकारी दी जाती रही।
उपचार के एक सप्ताह बाद बच्चे को नली के माध्यम से 2-2 एमएल दूध पिलाना शुरू किया गया। दसवें दिन से केवल मां के दूध पर बच्चे के वजन में प्रतिदिन सुधार देखने को मिला। लंबे और सतर्क उपचार के बाद 46वें दिन बच्चे का वजन बढ़कर 1.480 किलोग्राम हो गया, जिसके बाद परिजनों की सहमति से बुधवार को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
एसएनसीयू इंचार्ज शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सुनील कुमार हथगेल ने बताया कि संस्थान को प्राथमिकता मिलना और उसका सकारात्मक परिणाम मिलना पूरी टीम के लिए गर्व और खुशी की बात है। वहीं सिविल सर्जन डॉ. शिल्पी सराफ ने कहा कि शहडोल संभाग ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों से भी मरीज यहां उपचार के लिए आ रहे हैं, जो जिला चिकित्सालय की विश्वसनीयता को दर्शाता है।




