अब बिना बॉयो वाले छात्र भी कर सकेंगे नर्सिंग कोर्स
भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद के फैसले को पलट दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य में जीएनएम (जनरल नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) और एएनएम (ऑक्सिलरी नर्सिंग एंड मिडवाइफरी) पाठ्यक्रमों में प्रवेश अब भारतीय नर्सिंग परिषद (आईएनसी) द्वारा संचालित किया जाएगा।
आईएनसी के नियमों के अनुसार, किसी भी विषय के साथ 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र इन पाठ्यक्रमों के लिए पात्र हैं। हालांकि, मध्य प्रदेश नर्स पंजीकरण परिषद ने मनमाने ढंग से जीव विज्ञान को अनिवार्य कर दिया, जिससे कला और वाणिज्य संकाय के हजारों छात्र प्रवेश से वंचित हो गए।
आईएनसी दिशानिर्देशों का पालन अनिवार्य किया गया। मध्य प्रदेश निजी नर्सिंग कॉलेज एसोसिएशन द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह निर्णय छात्रों के साथ अन्याय है। अपने आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य को अब आईएनसी दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। स्वास्थ्य सुविधाओं के स्तर में भी सुधार होगा।
एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. प्रणीत जैन ने कहा कि इस फैसले से छात्रों, खासकर आदिवासी और ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को बहुत लाभ होगा। उन्होंने कहा कि अब ज़्यादा से ज़्यादा छात्र जीएनएम और एएनएम जैसे रोज़गारपरक पाठ्यक्रमों में प्रवेश ले सकेंगे, जिससे न केवल युवाओं को रोज़गार मिलेगा, बल्कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं का स्तर भी सुधरेगा।
न्यायालय ने जीएनएम, एएनएम, पोस्ट बेसिक और एमएससी नर्सिंग पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश परीक्षा की अनिवार्यता को भी समाप्त कर दिया है। इससे अब छात्रों के लिए प्रवेश प्रक्रिया आसान हो गई है।