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*जल जीवन मिशन को पलीता! कालीतलाई पंचायत में अधूरी नल-जल योजना, ग्रामीण बूंद-बूंद को तरसे*


राजगढ़। एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकारें जल जीवन मिशन (JJM) के तहत हर घर तक नल से जल पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर राजगढ़ जिले की कालीतलाई पंचायत में यह महत्वाकांक्षी योजना इंजीनियरों और ठेकेदारों की कथित मिलीभगत के कारण दम तोड़ती नजर आ रही है। पंचायत के किशनपुरिया, शाहपुरीया, डूंगरपुर का पूरा और बलवीरपूरा समेत कई गांवों में योजना पूरी तरह से फेल हो गई है, जिसके चलते ग्रामीण आज भी दूर-दराज से पानी लाने को मजबूर हैं।

*सिर्फ एक टंकी, चार-पांच गांवों की प्यास:*

ग्रामीणों ने बताया कि ठेकेदार द्वारा इन चार-पांच गांवों के लिए केवल एक ही पानी की टंकी का निर्माण किया गया है। नियमानुसार, इतनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त टंकियों का निर्माण होना चाहिए था, लेकिन एक ही टंकी होने के कारण पानी की समुचित आपूर्ति नहीं हो पा रही है।

*कम प्रेशर से नहीं भरते बर्तन:*

परेशान ग्रामीणों ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि नल में पानी आता भी है तो कभी-कभी और वह भी इतने कम प्रेशर से कि 10-20 लीटर से ज्यादा पानी नहीं मिल पाता। “हमारे बर्तन भी ठीक से नहीं भर पाते,” एक ग्रामीण ने कहा।

*गबन और भ्रष्टाचार के आरोप:*

ग्रामीणों का स्पष्ट आरोप है कि इंजीनियर और ठेकेदार मिलकर जल जीवन मिशन के लाखों रुपए का गबन कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जब वे नल चलाने वाले (ऑपरेटर) से शिकायत करते हैं, तो वह सीधा लाइन से कनेक्शन लेने के लिए 500 रुपये रिश्वत मांगता है, यह कहते हुए कि इससे ज्यादा पानी आएगा।

अधिकारियों की चुप्पी:

ग्रामीणों ने कई बार इस समस्या को लेकर इंजीनियर और जल जीवन मिशन के अधिकारियों को शिकायत की है, लेकिन कोई भी उनकी सुध लेने को तैयार नहीं है। इस गंभीर लापरवाही से सरकार की महत्वपूर्ण योजना को पलीता लग रहा है और सीधे तौर पर इंजीनियर, ठेकेदार और मिशन के अधिकारियों की मिलीभगत पर सवालिया निशान खड़े होते हैं।

*इंजीनियर ने नहीं उठाया फोन:*

जब इस मामले पर संबंधित इंजीनियर का पक्ष जानने के लिए उन्हें कॉल किया गया, तो उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा।

जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग:

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और उच्चाधिकारियों से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और योजना में भ्रष्टाचार करने वाले इंजीनियरों, ठेकेदारों और अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि उन्हें जल्द से जल्द शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो सके।

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