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बलौदाबाजार वनमंडल ने आरोपों को किया खारिज, फोटो और वीडियो को बताया प्रामाणिक

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के परिणाम पर संदेह का कुहास, निरस्त करने की मांग

बलौदाबाजार वनमंडल ने आरोपों को किया खारिज, फोटो और वीडियो को बताया प्रामाणिक

वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफी के परिणाम पर संदेह का कुहास, निरस्त करने की मांग

(तस्वीर) जिसे प्रथम पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। जिस पर विवाद की स्थिति बना हुआ था।

बलौदाबाजार (रूपेश वर्मा)।वन्य जीवन संरक्षण हेतु गठित पंजीकृत संस्था वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी के अध्यक्ष निखिलेश त्रिवेदी ने बारनवापारा अभयारण्य प्रबंधन द्वारा आयोजित वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी प्रतियोगिता के परिणामों पर आपत्ति जताई है। उन्होंने प्रथम पुरस्कार को निरस्त करने की मांग राज्य सरकार एवं प्रशासन से की है। श्री त्रिवेदी ने कहा कि वन्य जीवन छायांकन की एक आचार संहिता होती है, जिसके अनुसार बंदी अवस्था में रखे गए प्राणियों या चिड़ियाघर में खींचे गए चित्रों को प्रतियोगिता हेतु उपयुक्त नहीं माना जाता। उनके अनुसार, प्रतियोगिता में जिस बाघ की तस्वीर को प्रथम पुरस्कार दिया गया है, वह नया रायपुर स्थित जंगल सफारी में खींची गई है, जो किसी प्राकृतिक अभयारण्य का हिस्सा नहीं है बल्कि मानव निर्मित वन विहार है। उन्होंने कहा कि वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी में उच्च नैतिक मानदंडों का पालन आवश्यक है। देशभर के प्रमुख फोटोग्राफी समूह और वेबसाइट्स भी “वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी एथिक्स” के तहत ऐसे चित्रों को स्वीकार नहीं करते। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि राज्य के वन अधिकारी अक्सर विषय विशेषज्ञों से सलाह लिए बिना ही निर्णायक

प्रतियोगिता के परिणामों पर उठे सवाल, प्रथम पुरस्कार निरस्त करने की हो रही है मांग,वनमंडल ने किया आरोपों का खंडन

बलौदाबाजार वनमंडल ने इस विवाद पर आधिकारिक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा है कि ‘वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी कॉम्पटीशन 2025- कैप्चर टू कन्सर्व में प्रथम पुरस्कार प्राप्त फोटो प्रीडेटर्स ऑफ डिफरेंट स्पीशिस पूर्णत मौलिक और असंपादित है। वनमंडल के अनुसार, यह फोटो प्रतिभागी अश्विनी तिर्की द्वारा नवंबर 2024 में खींचा गया था। इस दृश्य का वीडियो उनके सहपाठी लक्ष्मीकांत साहू ने बनाया था। दोनों ही प्रतिभागी एएएफटी यूनिवर्सिटी, खरोरा के वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी स्नातक हैं। फोटो और वीडियो दोनों उपलब्ध हैं, जो चित्र की प्रमाणिकता की पुष्टि करते हैं। वनमंडल ने कहा कि प्रतियोगिता की पारदर्शिता पर लगाए गए आरोप भ्रामक और निराधार हैं।

उक्त फोटो का मूल संस्करण और संबंधित वीडियो “जंगल सफारी रायपुर” के आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर देखा जा सकता है।

भूमिका निभा लेते हैं, जबकि उन्हें वन्यजीव छायांकन की तकनीकी जानकारी सीमित होती है। हालांकि श्री त्रिवेदी ने स्पष्ट किया कि उन्होंने इस प्रतियोगिता में भाग नहीं लिया था, किंतु देश के विभिन्न टाइगर

रिजर्ब्स में 500 से अधिक बाघों, बाघिनों और उनके शावकों का छायांकन किया है। इस नाते, यदि उनके गृह जिले की प्रतियोगिता में कोई त्रुटि दिखी, तो उसे इंगित करना उनका दायित्व है।

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