
भोपाल। साइंस हाउस मेडिकल प्राइवेट लिमिटेड पर चल रहे आयकर छापों में बड़े पैमाने पर कर चोरी का खुलासा हुआ है, जिसमें अधिकारियों ने कथित तौर पर लगभग 1 करोड़ रुपये नकद ज़ब्त किए हैं। जांच अभी भी जारी है और अधिकारी निवेश संबंधी और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज़ों की जांच कर रहे हैं।
सूत्रों ने बताया कि आयकर अधिकारियों को फर्जी कंपनियों के एक नेटवर्क का पता चला है, जो कथित तौर पर आय छिपाने और कर चोरी के लिए बनाई गई थीं। कंपनी के बैंक लेनदेन और आयकर रिटर्न की बारीकी से जाँच की जा रही है, खासकर कंपनी के मालिक जितेंद्र तिवारी और उनके परिवार से जुड़े लेनदेन की।अधिकारियों को फर्जी बिलिंग में संलिप्तता का संदेह है, जिसके बाद कंपनी के बिलिंग रिकॉर्ड की विस्तृत जाँच की गई। तलाशी राजेश गुप्ता तक भी पहुँची है, जो कथित तौर पर कंपनी को चिकित्सा उपकरण आपूर्ति करने में शामिल थे।
बड़े अनुबंध, घटिया सेवा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि साइंस हाउस को जून 2020 में दो निविदाओं के माध्यम से सरकारी अस्पतालों में पांच साल के अनुबंध पर नैदानिक परीक्षण प्रदान करने के लिए नियुक्त किया गया था।
एक निविदा जिला और सिविल अस्पतालों के लिए थी, जिसमें लिपिड प्रोफाइल, मधुमेह परीक्षण, सीबीसी, हार्मोनल परीक्षण आदि सहित 101 प्रकार के परीक्षण शामिल थे। दूसरी निविदा शहरी स्पोक मॉडल का हिस्सा थी, जिसके तहत दूरदराज के इलाकों से एकत्र किए गए नमूनों का प्रसंस्करण कंपनी की केंद्रीकृत परीक्षण सुविधा में किया जाता था।
कई सौ करोड़ रुपए की शुद्ध संपत्ति होने के बावजूद निविदा के प्रावधानों के अनुसार, कंपनी को घटिया परीक्षण रिपोर्ट या खराब मशीनों के कारण लगभग हर महीने जुर्माना लगाया जाता था। कुछ मामलों में जुर्माना 1 करोड़ रुपए तक पहुंच गया।
साइंस हाउस को शुरू में सरकारी अस्पतालों में नैदानिक मशीनें लगाने की उच्च लागत से बचने के लिए लाया गया था, लेकिन अब गुणवत्ता में खामियों और अनियमितताओं के कारण आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही कर चोरी के आरोपों ने भी इसे और बढ़ा दिया है।