नुक्कड़ नाटक के जरिए युवाओं ने दिया नशा न करने का संदेश- गांव वासियों ने लिया नशा न करने का संकल्प-
राजगढ़. नशा नाश का कारण है इसी संदेश को लेकर अहिंसा वेलफेयर सोसायटी की पीस वॉलंटियर वंदना एवं उनके युवा मंच द्वारा ग्राम देवली कलां के चौक पर एक प्रभावशाली नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया। इस आयोजन ने पूरे गांव को झकझोर कर रख दिया, जब मंच की किशोरियों ने दारू, गांजा, अफीम, गुटखा और अन्य नशीले पदार्थों के दुष्प्रभावों को नाटक के माध्यम से जीवंत रूप में प्रस्तुत किया।
नाटक की प्रस्तुति में युवतियों ने बताया कि नशा केवल व्यक्ति को ही नहीं, बल्कि पूरे परिवार और समाज को प्रभावित करता है। इससे न केवल स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ता है, बल्कि व्यक्ति की गरिमा, आत्मसम्मान और सामाजिक प्रतिष्ठा भी नष्ट होती है। नशा व्यक्ति को अंदर से खोखला बना देता है और धीरे-धीरे उसकी निर्णय क्षमता, भविष्य की दिशा और जीवन की गुणवत्ता को खत्म कर देता है।
कार्यक्रम की मुख्य सूत्रधार वंदना पिछले 15 दिनों से अपने युवा मंच की किशोरियों एवं किशोरों के साथ लगातार अभ्यास कर रही थीं। उनका उद्देश्य सिर्फ एक है-गांव को नशा मुक्त बनाना और युवाओं को सही दिशा दिखाना।
नाटक के अंत में गांव के सभी उपस्थित महिला, पुरुष एवं युवाओं के साथ एक संवाद सत्र भी आयोजित किया गया, जिसमें विशेष रूप से यह बताया गया कि कैसे नशे की लत युवाओं को शिक्षा, रोजगार और सम्मान से दूर कर रही है। वंदना ने युवाओं से अपील की कि यदि वे ठान लें, तो बदलाव निश्चित है।
इस अवसर पर कालीपीठ थाना पुलिस और अहिंसा टीम के सदस्य भी उपस्थित रहे और उन्होंने भी युवाओं के इस प्रयास की सराहना की। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की पहल समाज में सकारात्मक चेतना लाती है और प्रशासन भी ऐसे प्रयासों में हरसंभव सहयोग करेगा।
नाटक के समापन के साथ ही गांववासियों ने एक स्वर में शपथ ली —ना हम नशा करेंगे, ना किसी को करने देंगे।
इस प्रेरणादायक कार्यक्रम ने यह संदेश स्पष्ट कर दिया कि यदि समुदाय जागरूक हो जाए, तो किसी भी बुराई को जड़ से मिटाया जा सकता है। यह सिर्फ एक नाटक नहीं था, बल्कि संवैधानिक मूल्यों जैसे स्वास्थ्य का अधिकार, स्वतंत्रता की गरिमा, और सामाजिक उत्तरदायित्व की जीवंत अभिव्यक्ति थी।
पीस वॉलंटियर वंदना और उनका युवा मंच न केवल अभिनय के जरिए, बल्कि अपनी सोच और संकल्प के जरिए यह बता रहे हैं कि बदलाव कहीं बाहर से नहीं आता — वह भीतर से शुरू होता है।
गांव देवली कलां की यह पहल पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा बन रही है।