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अवैध खनन मामला: कर्नाटक के पूर्व मंत्री जनार्दन रेड्डी समेत 3 को सात साल की सजा

हैदराबाद। ओबुलापुरम माइनिंग कंपनी (ओएमसी) अवैध खनन मामले में कर्नाटक के पूर्व मंत्री और विधायक गली जनार्दन रेड्डी और तीन अन्य को दोषी ठहराया गया है। विशेष सीबीआई अदालत ने मंगलवार को सभी को सात साल की सजा सुनाई और प्रत्येक पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने कंपनी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

अदालत द्वारा फैसला सुनवाए जाने के तुरंत बाद सीबीआई ने रेड्डी और अन्य को हिरासत में ले लिया। सीबीआई अदालत ने यह फैसला लगभग 14 साल बाद सुनाया है।

सीबीआई ने रेड्डी और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें उन पर खनन पट्टे की सीमा चिह्नों के साथ छेड़छाड़ करने और कर्नाटक-आंध्र प्रदेश सीमा पर बेल्लारी रिजर्व वन क्षेत्र में अवैध रूप से खनन करने का आरोप लगाया गया था।

जानिए किसको-किसको ठहराया गया दोषी

सीबीआई मामलों के प्रधान विशेष न्यायाधीश टी रघु राम ने पूर्व मंत्री सबिता इंद्रा रेड्डी और पूर्व नौकरशाह बी कृपानंदम को मामले में बरी कर दिया। अदालत ने जनार्दन रेड्डी के साढू और ओएमसी के प्रबंध निदेशक श्रीनिवास रेड्डी (ए1) और तत्कालीन खान एवं भूविज्ञान सहायक निदेशक वीडी राजगोपाल (ए3) तथा रेड्डी के निजी सहायक महफूज अली खान (ए7) को दोषी ठहराया।

अवैध खनन से सरकारी खजाने को पहुंचा था नुकसान

अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि 2007 से 2009 के बीच अवैध खनन से सरकारी खजाने को 884 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। सीबीआई ने 3 दिसंबर, 2011 को रेड्डी, जो खनन कंपनी के निदेशक भी हैं, श्रीनिवास रेड्डी, राजगोपाल, दिवंगत आर लिंगा रेड्डी और ओएमसी (ए4) के खिलाफ मामले में पहला आरोप पत्र और उसके बाद तीन पूरक आरोप पत्र दायर किए थे।

वरिष्ठ आईएएस अधिकारी वाई श्रीलक्ष्मी को नवंबर 2022 में तेलंगाना उच्च न्यायालय ने मामले से बरी कर दिया था। सीबीआई के लोक अभियोजक इंद्रजीत संतोषी और सहायक लोक अभियोजक विष्णु मज्जी ने जांच एजेंसी की ओर से मामले की पैरवी की।

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