आपराधिक प्रवृत्ति का त्याग कर समाज की मुख्यधारा में लौटें बंदी — जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान
देपालपुर(इंदौर) – “अपराध सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि उसके पूरे परिवार और समाज के भविष्य पर दुष्प्रभाव डालता है, इसलिए बंदियों को चाहिए कि वे अपने भीतर की बुराइयों का परित्याग कर अच्छाइयों को अपनाएं और समाज, परिवार और राष्ट्र के विकास में सहभागी बनें।” यह उद्गार तहसील विधिक सेवा समिति देपालपुर के अध्यक्ष एवं जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान ने सोमवार को उपजेल देपालपुर में आयोजित विधिक साक्षरता शिविर के दौरान मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए । शिविर का उद्देश्य बंदियों में विधिक जागरूकता का संचार कर उन्हें समाजोपयोगी जीवन के लिए प्रेरित करना था, जिसमें जिला न्यायाधीश हिदायत उल्ला खान ने कहा कि प्रत्येक बंदी को विधिक सहायता प्राप्त करने के साथ ही अपने परिजनों से मिलने-जुलने का भी पूरा हक है। उन्होंने कहा कि अपराध के दुष्परिणाम सिर्फ आरोपी तक सीमित नहीं रहते बल्कि उनके परिवार और समाज को भी किसी न किसी रूप में भोगना पड़ता है ,अतः बंदियों को चाहिए कि वे आत्ममंथन कर अपनी गलतियों को सुधारें और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ पुनः समाज की मुख्यधारा में लौटने का प्रयास करें ताकि वे न केवल अपने जीवन को सार्थक बना सकें बल्कि अपने परिवार और राष्ट्र के भविष्य को भी उज्ज्वल दिशा दे सकें। इस अवसर पर सहायक जेल अधीक्षक आर. एस.कुशवाह ने बंदियों को उनके उचित स्वास्थ्य, संतुलित आहार एवं अन्य स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं वहीं शिविर में सीनियर सिविल जज/न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती रिजवाना कौसर, सुमित्रा ताहेड़ एवं दिव्या श्रीवास्तव सहित एएसआई रामेश्वर झाड़िया, मुख्य प्रहरी सैय्यद इसरार अली, प्रहरी विवेक शर्मा, महिला प्रहरी एकता पटेल व आरती सोलिया, टेक्निकल असिस्टेंट इंदल राय एवं नायब नाजिर दिलीप यादव सहित सम्पूर्ण जेल स्टाफ की उपस्थिति रही। शिविर के दौरान बंदियों ने भी अपने विचार साझा किए और विधिक सहायता संबंधी प्रश्न पूछकर समाधान प्राप्त किया, जिससे उनमें नई ऊर्जा और सकारात्मक सोच का संचार देखने को मिला इस पहल को जेल प्रशासन और विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से पुनर्वास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है जिससे बंदियों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाने के प्रयासों को और अधिक बल मिले।