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अंतरिक्ष में मौजूद गैसें पैदा कर सकती हैं रोशनी

नई दिल्ली। रहस्यों से भरा अंतरिक्ष हमेशा से ही कौतूहल का विषय रहा है। हालांकि, समय-समय पर वैज्ञानिक इन रहस्यों से पर्दा उठाकर जिज्ञासाओं का समाधान करते रहे हैं, लेकिन अब वैज्ञानिकों एक ऐसे ही एक और रहस्य से पर्दा उठाया है। वैज्ञानिकों की मानें तो हमारे सौरमंडल में ग्रहों के अलावा कई तरह की गैसें, खनिज और तत्व भी मौजूद हैं, जो अंतरिक्ष की गहराइयों में फैले हुए हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, इन गैसों में कुछ ऐसी भी होती हैं, जो खास परिस्थितियों में खुद से रोशनी पैदा कर सकती हैं। हालांकि, इसके लिए उन्हें किसी ऊर्जा स्रोत जैसे तारों से ऊर्जा मिलती है, जिससे वे चमकने लगती हैं और दूर से देखने पर रोशनी फैलाती नजर आती हैं।

वैज्ञानिकों की मानें तो हाइड्रोजन अंतरिक्ष में सबसे ज्यादा पाई जाने वाली गैस है। जब यह बहुत ज्यादा गर्म हो जाती है या तारों से ऊर्जा मिलती है, तो यह चमकने लगती है। यह गैस ज्यादातर तारों के जन्म स्थान ‘नेब्युलाÓ में पाई जाती है, जैसे ऑरियन नेब्युला, जो पृथ्वी से लगभग 1,344 प्रकाश वर्ष दूर है। यहां हाइड्रोजन गैस तारे बनने की प्रक्रिया के दौरान रोशनी छोड़ती है। हाइड्रोजन की चमक लाल और गुलाबी रंग में देखी जाती है।

हीलियम गैस भी कुछ खास स्थितियों में रोशनी छोड़ सकती है। यह गैस मुख्य रूप से सूरज और अन्य तारों में पाई जाती है। सूरज की सतह पर हीलियम गैस की मौजूदगी उसकी रोशनी में एक खास चमक पैदा करती है। सूरज के अलावा अन्य चमकदार सितारों में भी हीलियम की रोशनी देखी जा सकती है। जब यह बहुत ज्यादा तापमान में गर्म होती है, तो यह पीले और नारंगी रंग की रोशनी देने लगती है।

ऑक्सीजन और नाइट्रोजन गैसें पृथ्वी के ऊपर ऊपरी वायुमंडल में रोशनी पैदा करती हैं, जिसे हम ‘ऑरोराÓ यानी उत्तरी या दक्षिणी लाइट्स के रूप में देखते हैं। जब सूरज से आए कण इन गैसों से टकराते हैं, तो ये हरी, नीली या बैंगनी रोशनी बिखेरती हैं। हालांकि, ये गैसें खुद से नहीं, बल्कि सूरज की ऊर्जा पाकर चमकती हैं। यह अद्भुत दृश्य पृथ्वी के ध्रुवों के पास आकाश में आसानी से देखा जा सकता है।

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