जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ दर्ज की गई याचिका पर सुनवाई से इनकार

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को कथित रूप से कथित अभियोजन, बरामदगी की घटना के संबंध में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत वर्मा के खिलाफ एक वकील की याचिका पर विचार करने से इंकार कर दिया।
अभय अभय एस. ओका के सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों की पीठ ने वकील मैथ्यूज जे. नेदुम्परा द्वारा डिमास्टल फाइल पर सुनवाई से इनकार कर दिया गया। न्यायालय ने उन्हें सलाह दी कि वे मामले को सर्वोच्च न्यायालय में पहले प्रतिनिधित्व के माध्यम से संपर्क करें।
पृष्ण ने कहा, नेदुम्परा पहले से ही एक जांच चल रही है। रिपोर्ट प्रधानमंत्री और भारत के राष्ट्रपति को भेजी गई है। उनका संयोजन एक प्रतिनिधि कार्यालय है। यदि कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो हमारे नजदीकी उपभोक्ता। नेडुम्परा ने तर्क दिया कि एक अपराध किया गया था और बरामदगी की गई थी। न्यायालय का कर्तव्य कानून का प्रशासन करना है। उन्होंने कहा, के. वीरस्वामी का निर्णय एक आदेश है… इसमें खेद व्यक्त किया गया है…, लेकिन इस पर फिर से विचार किया जाना चाहिए।
जवाब में कोर्ट ने टिप्पणी की कि हम लैटिन पर आपके कब्जे की दुकान कर रहे हैं, लेकिन कृपया कानूनी प्रक्रिया का पालन करें। परमादेश के लिए आवेदन पत्र भरने से पहले आपको एक प्रतिनिधि के पास जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, ‘सजावट के लिए समसामयिक प्रतिनिधित्व के माध्यम से बचाव की मांग की जानी चाहिए।’ हम याचिका पर सुनवाई करने से इनकार करते हैं।
अभय अभय एस. ओका की राहुल गांधी शीर्ष अदालत के दो जजों की पीठ ने वकील मैथ्यूज जे. नेदुम्परा द्वारा डिमास्टल फाइल पर सुनवाई से इनकार कर दिया गया।
नेडुम्परा ने रॉबर्ट वर्मा के खिलाफ वारंट जारी करने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी । 8 मई को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त इन-हाउस समिति द्वारा अभियोग आवेदन जाने के बाद भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना (अब सेवानिवृत्त) ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के खिलाफ महाभियोग की घोषणा करते हुए केंद्र को एक पत्र भेजा।
पूर्व सीजेआई नेकमेटी की रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद यह दुष्प्रचार किया गया, जिसमें गणतंत्र वर्मा को कदाचार का दोषी पाया गया। निर्वाची मोर्चा ने इस कठोर कदम को उठाने के लिए मजबूरन ले लिया।