छत्तीसगढ़राज्य

एमसीबी जिले में कानून व्यवस्था की धज्जियाँ: अवैध कारोबारियों का साम्राज्य, प्रशासन मौन

एमसीबी जिले में कानून व्यवस्था की धज्जियाँ: अवैध कारोबारियों का साम्राज्य, प्रशासन मौन

जुआ,सट्टा,नशा,अवैध शराब और कबाड़ कारोबार का अड्डा बनता जा रहा एमसीबी जिला

एमसीबी
एमसीबी जिला आज अपराधियों के लिए ‘स्वर्ग’ बनता जा रहा है। जिले के हर शहर, गाँव, गली और चौक-चौराहे पर अब कानून की नहीं, बल्कि अवैध कारोबारियों की हुकूमत चल रही है। सट्टा, गांजा, नाइट्रा गोली, एविल इंजेक्शन, महुआ शराब से लेकर अवैध कबाड़ तक – हर प्रकार का गैरकानूनी धंधा दिनदहाड़े, प्रशासन की नाक के नीचे फल-फूल रहा है।

सबसे बड़ी बात यह है कि यह सब कुछ आबकारी विभाग और पुलिस प्रशासन की संभावित मिलीभगत से संचालित हो रहा है। कानून व्यवस्था को ठेंगा दिखाते इन अपराधियों पर किसी भी प्रकार की सख्त कार्यवाही न होना, खुद एक बड़ा सवाल बनकर खड़ा हो गया है।

विधायक की चेतावनी हवा में, अपराधियों की मौज

चुनाव जीतने के बाद जिले के प्रथम दौरे में छत्तीसगढ़ सरकार के मंत्री एवं एमसीबी विधायक श्याम बिहारी जयसवाल ने मंच से कड़ा संदेश देते हुए कहा था, "अवैध कारोबार करने वालों की अब खैर नहीं", लेकिन वर्तमान स्थिति को देख यह बयान खोखला प्रतीत हो रहा है।

जिला मुख्यालय से लेकर सुदूर ग्राम पंचायतों तक अवैध शराब, नशा और कबाड़ माफिया का आतंक है। पुलिस की आंखों के सामने ही गांजा और नाइट्रा जैसे घातक नशे की बिक्री हो रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की कथनी और करनी में फर्क है?

नशे में डूबता युवा वर्ग, खोता भविष्य

एमसीबी जिले के गाँवों और शहरों के वार्डों में युवा वर्ग तेजी से गांजा, नाइट्रा गोली और एविल इंजेक्शन जैसे नशे की गिरफ्त में आ रहा है। यह नशे की लत न केवल उनके स्वास्थ्य को बर्बाद कर रही है, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक ढांचे को भी तोड़ रही है।

     कई परिवारों ने गुमनाम शिकायतें कर जिला प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन कार्यवाही के नाम पर केवल ‘कागजी खानापूर्ति’ ही होती है।

कबाड़ माफियाओं की चांदी

अवैध कबाड़ कारोबार जिले में एक अलग ही उफान पर है। चोरी के सामान से लेकर एसईसीएल संस्थानों के उपकरण,तांबे के तार,सिल्वर,लोहा एवं हाइवे 43 सड़क किनारे लगे साइन बोर्ड आदितक कबाड़ के नाम पर बेचे जा रहे हैं। "सइयां भए कोतवाल तो डर काहे का" — यह कहावत अब एमसीबी में अक्षरश: चरितार्थ हो रही है।

जनता की उम्मीद: कब जागेगा प्रशासन?

अब जनता के मन में सिर्फ एक ही सवाल है —
कब तक प्रशासन सोता रहेगा? कब होगी सख्त कार्यवाही?
क्यों नहीं हो रही बड़े स्तर पर छापेमारी?
क्या मंत्री का बयान सिर्फ राजनीतिक स्टंट था या फिर वाकई कुछ बदलाव आएगा?

एमसीबी की जनता अब प्रशासन और सरकार की तरफ टकटकी लगाए बैठी है। जरूरत है साहसी निर्णयों की, निष्पक्ष कार्यवाही की, और यह संदेश देने की कि कानून का शासन अब भी जिंदा हैं।

Related Articles

Back to top button
× click to chat whatsapp