इसे कहते हैं मुंह की खाना… भारत के खिलाफ UNSC पहुंचे पाक की हो गई फजीहत

नई दिल्ली। अस्थाई सदस्य होने के नाते पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बंद कमरे में बैठक बुला तो ली लेकिन इसका नतीजा कुछ ऐसा नहीं हुआ जैसा पाकिस्तान की सरकार चाहती थी। असलियत में आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान के प्रतिनिधि से ही कुछ तीखे सवाल किये गये।
पाक से पूछे गए कठिन सवाल
चीन को छोड़ कर यूएनएससी के स्थाई अन्य चारों सदस्यों (अमेरिका, ब्रिटेन, रूस और फ्रांस) ने यहीं कहा कि आतंकवाद का मुद्दा बहुत ही गंभीर है। इस संदर्भ में आतंकी संगठनों को प्रश्रय देने को लेकर भी पाकिस्तान से सवाल पूछे गये।
बैठक के बाद यूएनएससी ने दोनों पक्षों को आपस में बातचीत कर मौजूदा तनाव दूर करने का सुझाव दिया। हालांकि, बैठक के बाद पाकिस्तान के आसीम इख्तियार अहमद ने प्रेस कांफ्रेंस करके भारत के खिलाफ खूब भड़ास निकाली है।
पाकिस्तान की हुई फजीहत
कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान ने बैठक में भारत के साथ अभी जो तनावपूर्ण स्थिति है उसके लिए पूरी तरह से भारत को जिम्मेदार ठहराया। यह भी बताया गया कि भारत इस घटना की आड़ में युद्ध भड़काने की तैयारी में है। इस तर्क को कई स्थाई व अस्थाई सदस्यों ने स्वीकार करने से इन्कार कर दिया।
कुछ सदस्यों ने यह भी कहा कि पहलगाम में निर्दोष नागरिकों की हत्या के दोषियों को जिम्मेदार ठहराना और उन पर न्यायोचित कार्रवाई करना बेहद जरूरी है।
कुछ सदस्यों ने पहलगाम में धार्मिक पहचान के आधार पर हत्या करने पर अपना रोष जताया। पाकिस्तान ने जिस तरह से लगातार मिसाइल परीक्षण कर रहा है, इस बैठक में यह मुद्दा भी उठाया गया।
कश्मीर का नाम बार बार पाकिस्तान के प्रतिनिधि ने लिया, जिस पर कुछ सदस्यों ने टिप्पणी की कि यह दोनों देशों के बीच का मामला है और इन्हें आपसी विमर्श से ही सुलझाना चाहिए।
वहीं, एक सदस्य ने पहलगाम हमले में LeT के शामिल होने पर भी सवाल पूछा।
दुनिया का ध्यान भटकाना चाह रहा पाकिस्तान
सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की कोशिश यह थी कि वह भारत के साथ बढ़ते सैन्य तनाव के मुद्दे पर वैश्विक समर्थन हासिल करे। ऐसा करके पहलगाम हमले को लेकर उस पर जो आरोप लग रहे हैं, उससे वह दुनिया का ध्यान भटका सकता है।
पाकिस्तान इस तरह की कोशिश आगे भी जारी रखेगा, क्योंकि बतौर अस्थाई सदस्य उसके पास कुछ अधिकार हैं। खास तौर पर जुलाई, 2025 में पाकिस्तान यूएनएससी का एक महीने के लिए अध्यक्ष होगा। उस महीने भी वह कश्मीर मुद्दे पर विशेष बैठक बुलाने की कोशिश कर सकता है।