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BJP सांसद निशिकांत दुबे की बढ़ी मुश्किलें, विवादित टिप्पणी मामले में अगले हफ्ते सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब सुप्रीम कोर्ट दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई करने पर सहमत हो गया है। दुबे ने हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय और सीजेआई संजीव खन्ना की आलोचना की थी।

इस मामले को न्यायमूर्ति बी आर गवई और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष तत्काल सुनवाई के लिए लाया गया था, जिसपर कोर्ट ने सहमति जताई।

सीजेआई को ‘गृह युद्ध’ के लिए बताया था जिम्मेदार

वकील ने पीठ को बताया कि दुबे ने कहा कि सीजेआई देश में ‘गृह युद्ध’ के लिए जिम्मेदार हैं और उनकी टिप्पणी का वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर सर्वोच्च न्यायालय के लिए अपमानजनक बातें कही जा रही है।वकील ने कहा कि यह बहुत गंभीर मुद्दा है।

बीते दिन ही दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने की मांग की गई थी, जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वकील को इसके लिए उनसे इजाजत लेने की जरूरत नहीं है।

जज और वकील में क्या हुई बातें?

अवमानना याचिका दायर करने की मांग लेकर पहुंचे वकील से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि आप क्या दायर करना चाहते हैं? क्या आप अवमानना याचिका दायर करना चाहते हैं? न्यायमूर्ति गवई ने पूछा।

वकील ने इसका जवाब देते हुए कहा कि सरकार दुबे के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रही है। वकील ने कहा कि उनके एक सहयोगी ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की सहमति मांगी थी, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।

वकील ने आगे कहा कि मुद्दा यह है कि कम से कम आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को इस वीडियो को हटाने के निर्देश तो दिए जाएं।

पीठ ने कहा कि मामले की सुनवाई अगले सप्ताह होगी। सोमवार को शीर्ष अदालत ने एक अन्य याचिकाकर्ता से कहा कि दुबे की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ अवमानना याचिका दायर करने के लिए उसे अदालत की अनुमति की आवश्यकता नहीं है।

ये है पूरा मामला

दुबे ने शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर सर्वोच्च न्यायालय को कानून बनाना है तो संसद और राज्य विधानसभाओं को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने सीजेआई खन्ना पर भी निशाना साधा और उन्हें देश में “गृह युद्धों” के लिए जिम्मेदार ठहराया।

भाजपा सांसद की टिप्पणी केंद्र द्वारा न्यायालय को दिए गए आश्वासन के बाद आई है कि वह वक्फ (संशोधन) अधिनियम के कुछ विवादास्पद प्रावधानों को सुनवाई के अगले दिन तक लागू नहीं करेगा, क्योंकि न्यायालय ने उन पर सवाल उठाए थे।

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