नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने विशाल रिटायरमेंट फंड के निवेश के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव की योजना बना रहा है। ईपीएफओ एक नई रणनीति पर काम कर रहा है, जिसके तहत निवेश को तीन अलग-अलग बेंचमार्क यील्ड में विभाजित किया जाएगा। ईपीएफ (भविष्य निधि), ईपीएस (पेंशन योजना) और ईडीएलआई (जीवन बीमा योजना) के लिए एक-एक। यह बदलाव भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा मौजूदा दृष्टिकोण को नया स्वरूप देने की सिफारिश के बाद आया है।
नए बेंचमार्क पर काम जारी
इस नई रणनीति को लागू करने के लिए ईपीएफओ ने अपने पोर्टफोलियो प्रबंधक, क्रिसिल को एक मसौदा प्रस्ताव तैयार करने के लिए कहा है। तैयार होने के बाद वित्तीय विशेषज्ञों की एक बाहरी समिति द्वारा इस मसौदे की समीक्षा की जाएगी। इसके बाद एक आंतरिक निवेश समिति भी प्रस्ताव की जाँच करेगी। यदि सभी चरणों में स्वीकृति मिल जाती है, तो अंतिम अनुशंसा कार्यान्वयन के लिए सरकार को भेजी जाएगी।
वर्तमान में ईपीएफओ लगभग 45-65 प्रतिशत नए निवेश सरकारी प्रतिभूतियों में, 0-45 प्रतिशत ऋण साधनों में, 5-15 प्रतिशत इक्विटी इंडेक्स फंडों में और 0-5 प्रतिशत अल्पकालिक ऋण में निवेश करता है। ईपीएफओ लगभग 25 लाख करोड़ रुपये के सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंधन करता है, जो पूरे भारत में लगभग 30 करोड़ कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति बचत को कवर करता है।
जब कोई वेतनभोगी कर्मचारी औपचारिक क्षेत्र के किसी संगठन में शामिल होता है, तो वह स्वतः ही ईपीएफओ का सदस्य बन जाता है। उनके वेतन और नियोक्ता द्वारा मासिक योगदान तीन भागों में विभाजित होता है। ईपीएफ (भविष्य निधि), ईपीएस (पेंशन योजना), और ईडीएलआई (जीवन बीमा) योजना। आमतौर पर, नियोक्ता के हिस्से का लगभग 8 प्रतिशत ईपीएस में जाता है, जबकि 4 प्रतिशत ईपीएफ में जोड़ा जाता है।
घर बैठे डिजिटल पेंशन प्रमाण—पत्र
पेंशनभोगियों की सेवाओं में सुधार के लिए एक अलग कदम उठाते हुए, ईपीएफओ का शीर्ष निर्णय लेने वाला निकाय, केंद्रीय न्यासी बोर्ड (सीबीटी) एक नई पहल शुरू करने की योजना बना रहा है। इससे इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आईपीपीबी) लगभग 80 लाख पेंशनभोगियों के घरों तक सीधे डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र पहुंचा सकेगा, जिससे सुविधा बढ़ेगी और बैंकों या कार्यालयों में भौतिक सत्यापन पर निर्भरता कम होगी।