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सत्यता से साधना, साधना से सिद्धि, सिद्धि से शक्ति और शक्ति से ही समाज में होगा परिवर्तन* , इसलिए समाज का एकजुट होना जरूरी

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संघ शताब्दी वर्ष: पीपलोदी में आयोजित पथ संचलन में बोले जिला कार्यवाह मनीष वैष्णव

राजगढ़। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य पीपलोदी मंडल में पथ संचलन का आयोजन किया गया। जिसमें कई स्वयंसेवकों ने पथ संचलन में हिस्सा लिया और एक साथ कदमताल करते हुए निकले। पथ संचलन के पूर्व जिला कार्यवाह मनीष वैष्णव ने बौद्धिक दिया। पथ संचलन के अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए कहा कि – “सतत्यता से साधना, साधना से सिद्धि, सिद्धि से शक्ति और शक्ति से समाज परिवर्तन संभव है।” इसलिए समाज को एकत्र कर समाज की शक्ति का विकास करना होगा। जिससे समाज में परिवर्तन आ सके और भारत परम वैभव पर पहुंचे।

उन्होंने अपने बौद्धिक में संघ की शताब्दी वर्ष योजना पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि आने वाले समय में संगठन के प्रत्येक स्वयंसेवक को पंच-परिवर्तन के संकल्प के साथ आगे बढ़ना होगा। ये पंच परिवर्तन हैं –

1. सामाजिक समरसता – समाज में भेदभाव समाप्त कर सभी को समान भाव से जोड़ना।
2. कुटुंब प्रबोधन – परिवार संस्था को मजबूत कर संस्कारयुक्त वातावरण का निर्माण।

3. पर्यावरण संरक्षण – प्रकृति की रक्षा और हरित जीवन शैली को अपनाना।

4. नागरिक कर्तव्य – समाज में अनुशासन, उत्तरदायित्व और राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानना।

5. स्व का बोध – अपने अस्तित्व, मूल्यों और संस्कृति की पहचान कर आत्मगौरव का भाव जगाना।

श्री वैष्णव ने कहा कि संघ का कार्य केवल शाखा तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज के प्रत्येक क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन लाना ही इसका लक्ष्य है। उन्होंने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे नियमित साधना, अनुशासन और संगठनबद्ध कार्यशैली से इन उद्देश्यों को सफल करें।

पथ संचलन के दौरान स्वयंसेवकों ने एकजुट होकर समाज को अनुशासन और संगठन की शक्ति का संदेश दिया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में स्वयंसेवक एवं स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे।

पथ संचलन के दौरान मार्ग में जगह जगह पुष्प वर्षा के स्थान स्वागत भी किया गया।

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