अपने जीवन में जो समाज को देकर जाये उसका अनुसरण आने वाली पीढ़ी का समाज करता रहे ऐसा विचार हमारा होना चाहिए।
संघ के पंच परिवर्तन से होगा समाज परिवर्तन
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने 100वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, जिसमे विभिन्न वर्ग व श्रेणियों के मध्य अलग- अलग कार्यक्रम आयोजित हो रहे है, जिसमें पंच परिवर्तन को लेकर वक्ता विषय प्रतिपादन कर रहे है, इसमें समाज में समरसता , कुटुंब का प्रबोधन , पर्यावरण का संरक्षण, सभी नागरिकों में शिष्टाचार एवं ‘स्व’ के भाव का जागरण प्रमुख है।
इसी क्रम में नगर में वरिष्ठ जन श्रेणी की गोष्ठी होटल संस्कृति मे संपन्न हुई, जिसमें नगर में निवासरत 45 वर्ष से ऊपर के सम्माननीय नागरिक गण सम्मिलित हुए।
आयोजित वरिष्ठजन गोष्ठी के मुख्य वक्ता लक्ष्मीनारायण चौहान (प्रांत सह समरसता संयोजक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) ने कहा कि वरिष्ठजन अपने जीवन में जो समाज को देकर जाये उसका अनुसरण आने वाली पीढ़ी का समाज करता रहे ऐसा विचार हमारा होना चाहिए।
समाज मे बदलाव और परिवर्तन लाने के लिए कितने प्रयास हम कर सकते है यह मुखिया ही तय करता है। भविष्य में जिस भारत का निर्माण करना है उसकी नींव वर्तमान में हम सबको रखनी होगी, और उसकी जिम्मेदारी हम सबको अपने कंधों पर लेनी होगी,क्योंकि समाज में व्याप्त कुरीतियों से हम भलीभांति परिचित है, उनको कैसे समाप्त करना है इसका हमे अनुभव भी होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि देश तभी आगे बढ़ेगा जब हम संगठित होंगे।
आज समय है कि हम अपने संस्कारों, परंपराओं और सेवा भाव को फिर से जागृत करें।
संघ केवल एक संगठन नहीं, यह एक विचार है—राष्ट्र निर्माण का, चरित्र निर्माण का, और समाज सेवा का।
संघ के साथ जुड़ना मतलब—राष्ट्र के लिए खड़ा होना।
हर शाखा में एक दीप जलता है, जो अंधकार को मिटाता है।
हर स्वयंसेवक एक प्रेरणा है, जो समाज को दिशा देता है।
आइए, हम सब मिलकर एक संगठित भारत का निर्माण करें।
जहाँ हर युवा संघ के साथ जुड़कर सेवा, संस्कार और स्वाभिमान का संदेश फैलाए।
जहाँ हर कदम राष्ट्र के लिए हो, और हर कार्य समाज के हित में।
*”अभिनव संघम” पथ संचलन में शामिल होंगे वरिष्ठजन।*
आगामी 12 अक्टूबर को राजगढ़ नगर में निकलने वाले पथ संचलन में शामिल होने के लिए सभी ने अलग अलग प्रकार से अपने विचार प्रकट किये। साथ ही सभी मिलकर समाज के अन्य बंधुओ को भी अपने साथ संघ का गणवेश पहनाकर संचलन मे लाने की बात कही..