कैबिनेट ने बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट सिंगल रेलवे लाइन खंड (177 किलोमीटर) के दोहरीकरण को मंजूरी दी, जिसकी कुल लागत 3,169 करोड़ रुपये होगी
भोपाल 10 सितम्बर। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने आज बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में भागलपुर-दुमका-रामपुरहाट एकल रेलवे लाइन खंड (177 किमी) के दोहरीकरण को मंजूरी दे दी है, जिसकी कुल लागत 3,169 करोड़ रुपये (लगभग) है।
बढ़ी हुई लाइन क्षमता से गतिशीलता में सुधार होगा, जिससे भारतीय रेलवे की दक्षता और सेवा विश्वसनीयता बढ़ेगी। मल्टी-ट्रैकिंग प्रस्ताव से परिचालन आसान होगा और भीड़भाड़ कम होगी, जिससे भारतीय रेलवे के सबसे व्यस्ततम खंडों पर आवश्यक बुनियादी ढाँचागत विकास संभव होगा। ये परियोजनाएँ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदीजी के नए भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप हैं, जो क्षेत्र के लोगों को व्यापक विकास के माध्यम से “आत्मनिर्भर” बनाएगा और उनके रोज़गार/स्वरोज़गार के अवसरों को बढ़ाएगा।
ये परियोजनाएँ पीएम-गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान के तहत बनाई गई हैं, जिनका उद्देश्य एकीकृत योजना और हितधारक परामर्श के माध्यम से मल्टी-मॉडल कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता को बढ़ाना है। ये परियोजनाएँ लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आवाजाही के लिए निर्बाध कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी।
तीन राज्यों अर्थात बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के पांच जिलों को कवर करने वाली इस परियोजना से भारतीय रेलवे के मौजूदा नेटवर्क में लगभग 177 किलोमीटर की वृद्धि होगी।
परियोजना खंड देवघर (बाबा बैद्यनाथ धाम), तारापीठ (शक्ति पीठ) आदि जैसे प्रमुख स्थलों को रेल संपर्क भी प्रदान करता है, जो देश भर से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को आकर्षित करता है।
मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाओं से लगभग 441 गांवों और लगभग 28.72 लाख आबादी तथा तीन आकांक्षी जिलों (बांका, गोड्डा और दुमका) तक कनेक्टिविटी बढ़ेगी।
कोयला, सीमेंट, उर्वरक, ईंट और पत्थर आदि जैसी वस्तुओं के परिवहन के लिए यह एक आवश्यक मार्ग है। क्षमता वृद्धि कार्यों के परिणामस्वरूप 15 MTPA (मिलियन टन प्रति वर्ष) की अतिरिक्त माल ढुलाई होगी। रेलवे, पर्यावरण अनुकूल और ऊर्जा कुशल परिवहन माध्यम होने के कारण, जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और देश की रसद लागत को कम करने, तेल आयात (5 करोड़ लीटर) कम करने और CO2 उत्सर्जन (24 करोड़ किलोग्राम) कम करने में मदद करेगा, जो 1 (एक) करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है।