15 तक किसी को प्रमोशन में रिजर्वेशन नहीं

भोपाल। राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा दिया है कि वह 15 जुलाई तक नई पदोन्नति नीति के तहत पदोन्नति नहीं देगी। यह हलफनामा सामान्य पिछड़ा अल्पसंख्यक कल्याण समाज (सपाक्स) की नई पदोन्नति नीति को चुनौती देने वाली याचिका के बाद आया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव सचदेवा और न्यायमूर्ति विनय सराफ की खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई को होगी।
सपाक्स का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता सुयश मोहन गुरु ने तर्क दिया, पिछली पदोन्नति नीति और इस नई नीति में कोई अंतर नहीं है। यह मुद्दा वर्तमान में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। इसलिए, राज्य सरकार नई नीति के तहत पदोन्नति में आरक्षण लागू नहीं कर सकती, जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय अंतिम निर्णय नहीं ले लेता।
इससे पहले जब उच्च न्यायालय ने स्थगन देने का मन बनाया था, तो महाधिवक्ता ने एक वचन दिया था कि सरकार नए नियमों के तहत पदोन्नति में आरक्षण को तुरंत लागू नहीं करेगी और अधिक समय का अनुरोध किया।
मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम, 2025 में एसटी के लिए 20% और एससी समुदायों के लिए 16% आरक्षण शामिल है। मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने इस साल 17 जून को राज्य सरकार के कर्मचारियों और अधिकारियों की पदोन्नति के लिए नियमों को मंजूरी दी।
सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण पर लंबित मामले के कारण मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पदोन्नति 2016 से रुकी हुई है। सरकार ने एक विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी, जिसके परिणामस्वरूप पदोन्नति पर लगभग रोक लग गई थी।