भारत से यूरोप तक बनेगा सीधा रास्ता, गलियारे में सऊदी अरब समेत ये देश
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी अप्रैल के तीसरे सप्ताह में सऊदी अरब जा सकते हैं। अभी तारीखों पर अंतिम फैसला होना बाकी है, लेकिन उनका दौरा करीब-करीब तय हो गया है। दो दिनों के दौरे में वह सऊदी अरब के नेताओं के साथ कारोबार, निवेश, ऊर्जा और रक्षा संबंधों को लेकर बात करेंगे। एक बड़ा एजेंडा आईएमईसी यानी इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकनॉमिक कॉरिडोर भी होगा। इस पर जी-20 समिट के दौरान सहमति बनी थी और अब इस प्रोजेक्ट पर तेजी लाने को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब के नेताओं से बात होगी। भारत से यूरोप तक बनने वाले रास्ते में सऊदी अरब भी एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो दुनिया का सबसे ताकतवर इस्लामिक मुल्क है। चार सालों के अंतराल के बाद पीएम नरेंद्र मोदी सऊदी अरब पहुंचने वाले हैं।
दरअसल, दिल्ली में 2023 में जी-20 समिट का आयोजन हुआ था। इसी दौरान आईएमईसी को लेकर सहमति बनी थी। यह कॉरिडोर भारत के लिए भू-राजनीतिक और आर्थिक तौर पर बेहद अहम है। इस प्रोजेक्ट के तहत भारत से मिडल ईस्ट होते हुए यूरोप तक जो गलियारा जाएगा, उसमें रेल, रोड नेटवर्क शामिल होगा। इसके अलावा सड़क परिवहन भी शामिल रहेगा। पहले चरण में यह भारत से मध्य पूर्व तक होगा। इसके अलावा दूसरा हिस्सा मध्य पूर्व से यूरोप के बीच होगा। पहले पार्ट को पूर्वी कॉरिडोर कहा गया है, जो भारत के मुंबई से होते हुए मिडल ईस्ट तक जाएगा। फिर मिडल ईस्ट से सऊदी अरब तक के रास्ते को नॉदर्न कॉरिडोर कहा जाएगा। आईएमईसी कॉरिडोर में इलेक्ट्रिसिटी केबल, हाइड्रोजन पाइपलाइन और हाईस्पीड डेटा केबल भी शामिल होंगे।
इस कॉरिडोर में भारत, अमेरिका, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, इटली, फ्रांस और जर्मनी शामिल होंगे। इसके अलावा यूरोपियन यूनियन भी इसका हिस्सा है। इस रूट पर भारत के तीन पोर्ट शामिल होंगे- गुजरात के मुंद्रा और कांडला बंदरगाह। इसके अलावा नवी मुंबई का जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट भी इसका हिस्सा होगा। फिर मध्य पूर्व देश फुजैराह, जेबेल अली और अबू धाबी बंदरगाह भी इसमें शामिल होंगे। सऊदी अरब के दम्मम और रास अल खैर भी इस कॉरिडोर का हिस्सा होंगे। दिलचस्प बात है कि रेलवे लाइन भी इस कॉरिडोर में होगी और इसका हिस्सा इजरायल भी होगा। रेलवे लाइन संयुक्त अरब अमीरात के फुजैराह पोर्ट से गुजरेगी। इसके अलावा इजरायल के हाइफा पोर्ट को भी रेलवे लाइन कनेक्ट करेगी। फिर सऊदी अरब और जॉर्डन भी इस रेल लाइन का हिस्सा होंगे।
सस्ता और सुगम होगा सफर
अब यूरोप की बात करें तो ग्रीस का पिराएस पोर्ट, साउथ इटली का मेसिना और फ्रांस का मार्सिले पोर्ट भी इसी रूट पर आएगा। इस प्रोजेक्ट के जरिए भारत से यूरोप तक सस्ता और सुगम सफऱ होगा। इसके अलावा मालवाहक जहाजों का सफऱ भी आसान होगा। खासतौर पर पाकिस्तान के भू-राजनीतिक महत्व को भी भारत कमतर कर पाएगा। इसके अलावा चीन के बेल्ट ऐंड रोड प्रोजेक्ट को भी यह गलियारा टक्कर दे सकेगा। खासतौर पर यूरेशिया क्षेत्र में चीन के बीआरआई को इससे टक्कर मिलेगी। अमेरिका भी इस परियोजना में खास दिलचस्पी है क्योंकि वह इसके माध्यम से एशिया से यूरोप तक चीन को टक्कर देने की कोशिश में है।