भारत-अमेरिका में टैरिफ वॉर की आंच नहीं, डिप्लोमैसी से हल की जा रही तल्खी

नई दिल्ली। दो फरवरी, 2025 की शुरुआत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इंटरनेट मीडिया साइट एक्स पर यह लिखकर की, ‘आज आजादी का दिन है।’ भले ही वह कोई भी पारस्परिक शुल्क लगाने का फैसला करें, इसका भारत और अमेरिका के आर्थिक संबंधों पर बहुत ज्यादा असर होने की संभावना कम है। दोनों देशों की सरकारों के बीच एक द्विपक्षीय कारोबारी समझौते (बीटीए) को लेकर विमर्श चल रहा है जिससे पारस्परिक शुल्क लगाने से पैदा हुई असहजता को संभाला जा सकता है।
ट्रंप भारत ने कारोबार में नहीं चाहते तल्खी
राष्ट्रपति ट्रंप इस महीने अपने दो शीर्षस्थ सहयोगियों को भी भारत यात्रा पर भेज रहे हैं जो यह संकेत देता है कि वह भारत के साथ तनावपूर्ण कारोबारी युद्ध शुरू करना नहीं चाहेंगे।भारत की ट्रंप प्रशासन के साथ पिछले एक महीने से ज्यादा समय से कारोबारी मुद्दों को लेकर बातचीत जारी है। इस वार्ता की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी के मुताबिक दोनों पक्षों की कोशिश यही है कि सीमा शुल्क को लेकर जो विवाद है वह ‘कारोबारी युद्ध’ की शक्ल न ले।
अमेरिकी पक्ष की कोशिश है कि भारतीय बाजार में उसके उत्पादों को ज्यादा अवसर मिले। राष्ट्रपति ट्रंप ने कई मौकों पर भारत को अमेरिकी उत्पादों पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाना वाला देश करार दिया है, लेकिन दूसरी तरफ जिस तरह से कनाडा और मैक्सिको के विरुद्ध उन्होंने मोर्चा खोला है, वैसा कदम भारत को लेकर नहीं उठाया है। पारस्परिक शुल्क को लेकर भारत एकमात्र देश है जिसकी बातचीत अमेरिका से हो रही है। चीन, मैक्सिको के साथ ट्रंप प्रशासन की कोई व्यापार वार्ता नहीं हो रही है।
US के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और NSA माइकल वालट्ज आएंगे भारत
यही नहीं अप्रैल, 2025 में अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और एनएसए माइकल वाल्ट्ज भारत भी आ रहे हैं। वाल्ट्ज 21 से 23 अप्रैल तक भारत की यात्रा करेंगे। इस दौरान उनकी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक तय है।
एनएसए वाल्ट्ज की भारत के एनएसए अजीत डोभाल से होने वाली वार्ता में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में सहयोग के नए चरण की शुरुआत की घोषणा होने की संभावना है। यह बताता है कि अमेरिका भारत के साथ अपने रणनीतिक रिश्तों पर कारोबार से जुड़े मुद्दों का असर पड़ने नहीं देना चाहता।
राष्ट्रपति ट्रंप इस वर्ष भारत में होने वाले क्वाड संगठन के शिखर सम्मेलन में भी हिस्सा लेने की सहमति दे चुके हैं। भारतीय विदेश मंत्रालय इस बैठक को अगस्त-सितंबर में आयोजित कराने को इच्छुक है। उक्त अधिकारियों का यह भी कहना है कि बीटीए को लेकर हो रही वार्ता में द्विपक्षीय कारोबारी संबंधों को मजबूत करने के लिए दूसरे उपायों पर भी चर्चा हुई है।
अमेरिकी पक्ष चाहता है कि भारत उससे ऊर्जा की ज्यादा खरीद करे। ट्रंप सरकार ने अमेरिका में गैस व कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने का फैसला किया है और इसके लिए भारत से बड़ा बाजार उनके पास नहीं है।
भारत ने फरवरी और मार्च, 2025 में अमेरिका से ज्यादा कच्चे तेल की खरीद भी की है। वार्ता में वर्ष 2030 तक 500 अरब डालर के द्विपक्षीय कारोबार का लक्ष्य हासिल करने की रणनीति पर भी चर्चा हुई है। पांच वर्षों में मौजूदा कारोबार को तीन गुना से भी ज्यादा तभी बढ़ाया जा सकेगा जब दोनों देशों के बीच बहुत ही सौहार्दपूर्ण कारोबारी व आर्थिक संबंध हो।