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बजट: आंकड़ों से विपक्ष के हमलों का जवाब देगी सरकार

नई दिल्ली| आम बजट को हर सरकार का राजनीतिक प्रपत्र कहा जाता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आगामी आम बजट में इस बात को एक बार फिर साबित करेंगी। माना जा रहा है कि एक फरवरी, 2025 को पेश होने वाले वर्ष 2025-26 के आम बजट में वह मोदी सरकार के 10-11 वर्षों के कार्यकाल के दौरान हासिल आर्थिक उपलब्धियों का एक पूरा लेखा-जोखा पेश करेंगी। इतना ही नहीं वह इसकी तुलना यूपीए सरकार के दस वर्षों (2004-14) के दौरान हासिल आर्थिक उपलब्धियों से करेंगी।

जब विपक्ष आगामी बजट सत्र में सरकार को बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे पर एक बार घेरने की तैयारी कर रही है तब वित्त मंत्री की यह तैयारी आर्थिक नीतियों को लेकर विपक्ष के साथ ही आम जनता के समक्ष भी अपनी उपलब्धियों को गिनाने की है। डेटा के साथ यह बताने की कोशिश होगी कि कम्यूनिकेशन से लेकर रेलवे नेटवर्क तक और पीएनजी कनेक्शन से लेकर सीधे लाभार्थियों को नकदी ट्रांसफर करने के मुद्दे पर एनडीए सरकार का रिकार्ड यूपीए से बहुत बेहतर है।

डेटा के मुताबिक वर्ष 2011-12 में प्रति व्यक्ति मासिक उपभोग (ग्रामीण) सिर्फ 1430 रुपये का था जो वर्ष 2023-24 में बढ़ कर 4122 रुपये, शहरों में यह आंकड़ा 2,630 रुपये से बढ़ कर 6,996 रुपये, मोबाइल सेवाओं की टैरिफ 269 रुपये प्रति जीबी से घट कर 9.08 रुपये प्रति जीबी, औसत ब्राडबैंड स्पीड 1.30 एमबीपीएस (मार्च, 2014) से बढ़ कर 95.67 एमबीपीसी (अक्टूबर, 2024), मेडिकल कालेजों की संख्या 387 से बढ कर 780, मेडिकल एजुकेशन में सीटों की संख्या 51,348 (2014) से बढ़ कर 1,18,137 (2024), एलपीजी कनेक्शन की संख्या इस दौरान 14.5 करोड़ से बढ़ कर 32.8 करोड़, पीएनजी कनेक्शन की संख्या 22.3 लाख से बढ़ कर 32.8 करोड़ृ हो गई है। इसी तरह से वर्ष 2014 में जहां पूरे देश में औसतन 12.5 घंटे बिजली उपलब्ध थी वह अब बढ़ कर 21.9 घंटे हो गई है। सबसे बड़ी वृद्धि गरीब घरों को दी जाने वाली आर्थिक मदद में हुई है। नकदी व वस्तुओं को मिला कर वित्त वर्ष 2014 में सरकार की तरफ से कुल 7,367 करोड़ रुपये की राशि बांटी गई थी जो वित्त वर्ष 2024 में बढ़ कर 6,96,359.9 करोड़ रुपये हो गई है।

वित्त मंत्री बताएंगी कि यूपीए ने जब सत्ता छोड़ा तो भारतीय इकोनॉमी का आकार विश्व में 10वें स्थान पर था लेकिन भारत अब दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी इकोनॉमी है और तीसरी इकोनमी बनने की तरफ अग्रसर है। महंगाई थामने में भी वह अपनी सरकार के पक्ष में आंकड़ें पेश करेंगी। यूपीए के दस वर्ष के दौरान खुदरा महंगाई की औसत दर 8.19 फीसद रही थी जबकि विगत दस वर्षों के दौरान 5.56 फीसद रही है।

जीएसटी से महंगाई का मुद्दा बताने वालों को यह कह कर जवाब दिया जाएगा कि तब अप्रत्यक्ष कर की औसत दर 15 फीसद थी जो अब घट कर 12.2 फीसद हो गई है। अगर भौतिक ढांचागत सुविधाओं की बात करें तो वर्ष 2014 में देश में बिजली उत्पादन की कुल स्थापित क्षमता 249 गीगा वाट थी जो अब 456 गीगावाट को पार कर चुकी है।

रिनीवेबल ऊर्जा की स्थापित क्षमता 76.38 गीगावाट से बढ़ कर 2015 गीगावाट हो चुकी है। तब देश के सिर्फ पांच शहरों में ही मेट्रो स्टेशन थे लेकिन आज की तारीख में 23 शहरों में मेट्रो संचालन की शुरुआत हो चुकी है। इस दौरान एयरपोर्ट की संख्या 74 से बढ़ कर 157 हो चुकी है। नेशनल हाइवे की लंबाई यूपीए के कार्यकाल में 25.7 हजार किलोमीटर बढ़ाई गई थी लेकिन वर्ष 2014-24 के दौरान 54.9 हजार किलोमीटर लंबाई जोड़ी गई है।

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