धर्म

जब हनुमान जी ने तोड़ी थी माता सीता की दी हुई मोतियों की माला, सभी अचंभित होकर देखते रहे, इस कथा में छुपी है बड़ी सीख!

सनातन धर्म में हनुमान जी को कलयुग के देवता माना जाता है. उनकी भक्ति और शक्ति के बारे में हम अक्सर सुनते हैं, उनके कामों में जो गहरे अर्थ छुपे होते हैं. वे हमेशा हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाते हैं, एक प्रसिद्ध कथा है जिसमें हनुमान जी ने माता सीता की भेंट दी गई मोतियों की माला को तोड़ दिया था, यह घटना न सिर्फ उनके अद्भुत भक्ति भाव को दर्शाती है, बल्कि जीवन के कुछ गहरे सत्य भी उजागर करती है. क्या है वो प्रसंग आइए जानते हैं

प्रचलित कथा
कथा के अनुसार, जब श्री राम और माता सीता वनवास से वापस लौटे और भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ, तो माता सीता ने हनुमान जी को अपनी भक्ति के प्रतीक स्वरूप एक सुंदर मोतियों की माला भेंट दी. यह माला हनुमान जी की महानता के प्रतीक के रूप में दी गई थी लेकिन जब हनुमान जी ने उस माला को देखा, तो वह कुछ अजीब सा महसूस करने लगे. उन्होंने माला को गौर से देखा और एक-एक कर उसके सारे मोती निकालने शुरू कर दिए. जिससे माला टूट गई, इस दृश्य को देख सभी लोग हैरान रह गए और हनुमान जी से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?

हनुमान जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि वह उन मोतियों में भगवान राम को ढूंढ रहे थे. यह सुनकर सभी लोग और भी अधिक चौंक गए, हनुमान जी ने आगे बताया कि भगवान सिर्फ किसी वस्तु में नहीं होते, बल्कि वह हमारे हृदय में होते हैं. उनके अनुसार, भगवान की असली उपस्थिति किसी माला, मूर्ति या अन्य वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही होती है. यह एक गहरी सीख थी, जो यह बताती है कि अगर हमें भगवान से प्रेम करना है तो हमें उन्हें अपने हृदय में बसाना होगा, न कि बाहरी वस्तुओं में खोजने की कोशिश करनी चाहिए.

हनुमान जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि वह उन मोतियों में भगवान राम को ढूंढ रहे थे. यह सुनकर सभी लोग और भी अधिक चौंक गए, हनुमान जी ने आगे बताया कि भगवान सिर्फ किसी वस्तु में नहीं होते, बल्कि वह हमारे हृदय में होते हैं. उनके अनुसार, भगवान की असली उपस्थिति किसी माला, मूर्ति या अन्य वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही होती है. यह एक गहरी सीख थी, जो यह बताती है कि अगर हमें भगवान से प्रेम करना है तो हमें उन्हें अपने हृदय में बसाना होगा, न कि बाहरी वस्तुओं में खोजने की कोशिश करनी चाहिए.

इस घटना के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान को किसी बाहरी वस्तु में ढूंढने की बजाय हमें उन्हें अपने हृदय में महसूस करना चाहिए. हनुमान जी का यह काम न सिर्फ उनकी भक्ति का प्रतीक था, बल्कि हमें यह समझाने के लिए किया गया था कि सच्ची भक्ति और प्रेम का वास्तविक स्थान हमारे भीतर है, न कि बाहर की किसी वस्तु में.

Related Articles

Back to top button
× click to chat whatsapp