
प्रयागराज. प्रयागराज में अगले वर्ष होने वाले महाकुंभ में बीजेपी के अगले प्रधानमंत्री उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव आ सकता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पदाधिकारियों की मानें तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम पर सभी की सहमति है। हालांकि, अभी लोकसभा चुनाव को काफी समय है, इसलिए स्पष्ट तौर पर उनके नाम का ऐलान नहीं होगा। बताया जाता है कि योगी को प्रोजेक्ट करने की पूरी तैयारी है।
दरअसल, महाकुंभ 13 जनवरी, 2025 से शुरू होने वाला है। 12 साल पहले प्रयागराज में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नरेंद्र मोदी का नाम संतों के सामने रखा था। उनके समर्थन के बाद नरेंद्र मोदी को बीजेपी का पीएम कैंडिडेट बनाया गया। इस बार ऐसा ही योगी आदित्यनाथ के लिए होगा। इसको लेकर संघ और विश्व हिंदू परिषद की तरफ से संकेत मिल रहे हैं।
दरअसल, लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा चुनाव, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का नाम बीजेपी के स्टार प्रचारकों की लिस्ट में शामिल है। वे राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड से लेकर साउथ में तमिलनाडु और तेलंगाना तक चुनावी रैलियां कर चुके हैं। नवंबर में हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ के ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ नारे का असर भी दिखा। यहां उन्होंने 11 रैलियां कर 17 कैंडिडेट के लिए वोट मांगे थे। इनमें 15 चुनाव जीत गए।
योगी आदित्यनाथ ने ये नारा यूपी में 9 सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान बार-बार दोहराया। इसके बाद यही नारा महाराष्ट्र में इस्तेमाल हुआ। पीएम मोदी ने 5 अक्टूबर को ठाणे और वाशिम में हुई रैलियों में अलग ढंग से यही बात कही।
संघ के पदाधिकारी बताते हैं, ‘बंटेंगे तो कटेंगे का नारा भले योगी आदित्यनाथ के मुंह से निकला हो, लेकिन इसके पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है। ये संघ की शाखाओं में गाया जाने वाला बहुत पुराना गीत है। इसे आजादी के समय से गाया जाता है। ये गीत था-
‘इतिहास कहता है कि हिंदू भाव को जब-जब भूले,
आई विपदा महान, भाई छूटे, धरती खोई, मिटे धर्म संस्थान’
यही बात मथुरा की बैठक में सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कही थी। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में एकता नहीं रहेगी, तो आजकल की भाषा में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ हो सकता है।
बताया जाता है कि कुंभ में हिंदू एकता के साथ चर्चा ये भी होगी कि देश का भविष्य किसके हाथों में सुरक्षित रहेगा। चर्चा होगी कि नया सूर्य कौन होगा। संघ के पदाधिकारी कहते हैं, ये सब उस तरह नहीं होगा, जैसे मोदी के नाम पर मुहर लगी थी। तब कुंभ के अगले साल लोकसभा चुनाव थे। इसलिए पीएम मोदी के लिए चेहरे पर पक्की मुहर के लिए उस आयोजन से बेहतर कोई और वक्त नहीं हो सकता था। वे बताते हैं कि इतने बड़े स्तर पर हिंदू समाज के संगठन और साधु-संतों का जमावड़ा फिर कहां मिलता। इस बार कुंभ और चुनाव के बीच 4 साल का फासला है। नाम पर तो चर्चा होगी, लेकिन सभी संगठनों के बीच एक प्रस्ताव की तरह इसे लाया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारी योगी आदित्यनाथ का नाम और भी मजबूती से लेते हैं। वे कहते हैं कि संघ किसी को ऐसे ही आगे नहीं लाता। उसके लिए जमीन तैयार होती है। जमीन पर खाद-पानी दिया जाता है। पहले छोटा सा अंकुर फूटता है और फिर पौधा। यही संघ के काम करने का तरीका है।
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और कुंभ मेले के आयोजकों में शामिल रविंद्र पुरी ने कहा, योगी जी हिंदू धर्म और सनातन के सबसे मजबूत स्तंभ हैं। वे कतार में हैं। उनकी दावेदारी मजबूत है। कतार में तो अमित शाह का नाम भी है, लेकिन अभी मोदी जी बहुत एक्टिव हैं। किसी पीएम के पद पर रहते दूसरे कैंडिडेट की चर्चा ठीक नहीं।
दरअसल, संघ से जुड़े एक शख्स बताते हैं कि संघ प्रमुख मोहन भागवत को मनाने से लेकर नरेंद्र मोदी के नाम का प्रस्ताव लाने और मुहर लगने तक की प्रक्रिया का मैं चश्मदीद गवाह हूं। उस वक्त कॉलेज में था। मेरे दादाजी विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष थे। विश्व हिंदू परिषद के प्रमुख रहे अशोक सिंघल से हमारे परिवार का बहुत जुड़ाव था। 2012 से ही नरेंद्र मोदी के नाम पर अशोक सिंघल संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुहर लगवाना चाहते थे। मोहन भागवत उनके नाम पर पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे। बहुत कोशिशों के बाद अशोक सिंघल ने मोहन भागवत को नरेंद्र मोदी के नाम पर राजी कर लिया। उसके बाद कुंभ में धर्म संसद हुई। उसमें मोहन भागवत ने हिंदू और संत समाज के बीच पहली बार पीएम पद के लिए नरेंद्र मोदी का नाम लिया था।
वे कहते हैं, धर्म संसद का आखिरी दिन था। तारीख 5 फरवरी, 2013 थी। करीब 10 हजार दंडी स्वामी मौजूद थे। सभी ने चिमटा बजाकर मोदी का नाम लिया। उनके नाम के नारे लगाए। कहा कि हमारे पीएम नरेंद्र मोदी होंगे। फिर यही नारे जनता के बीच भी लगे। ये जनता संतों की भक्त थी। ये मीडिया और पब्लिक के बीच नरेंद्र मोदी का नाम पीएम कैंडिडेट के तौर पर लाने की योजनपा थी।