स्वस्थ लाइफ स्टाइल को आदत में डालें: डॉ. मनोरिया

भोपाल। जापन एवं हांगकांग में मेडिकल साइंस इतना एडवांस हो गया है कि डाॅक्टर स्टूल टेस्ट से पता कर लेते हैं कि मरीज को कब हार्ट अटैक आने वाला है या ब्रेन स्ट्रोक पड़ सकता है। पेट की बड़ी आंत में अरबों बेक्टिरिया रहते हैं जो शरीर के मित्र कीट है किन्तु पेट में अगर इन्फेक्शन हो जाये तो यह बेक्टिीरिया डिस्टर्ब हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति बीमार पड़ जाता है इसके ईलाज के लिये प्री प्रो बायोटिक दवाओं का उपयोग ही कारगर साबित होता है।
यह जानकारी विश्व प्रसिद्ध हैदराबाद के डाॅक्टर डी.नागेश्वर रेड्डी ने दी वे रविवार को भोपाल के मिंटो हाॅल में आयोजित डाॅक्टर्स कान्फ्रेंस में भाग लेने आये थे डाॅक्टर रेड्डी का हैदराबाद में एशियन इंस्टीटयूट आॅफ गैस्ट्रो इन्फाॅलाॅजी (ए.आई.जी.) हाॅस्पिटल है जहां पेट संबंधी सभी बीमारियों का समुचित ईलाज किया जाता है, ए.आई.जी. हाॅस्पिटल दुनिया भर में प्रसिद्ध है जहां से लोग ईलाज के लिये हैदराबाद आते हैं। डाॅक्टर रेड़्डी कुछ ही समय के लिये कार्यक्रम में भाग लेने के लिये भोपाल आये थे। उन्होंने बताया कि पेट ओर लीवर की बीमारी विश्वव्यापी समस्या है। समय के साथ-साथ खान-पान के तौर तरीके बदलते जा रहे हैं जिससे कई तरह की बीमारियां देखने को मिल रही है। हालांकि, इन बीमारियों के उपचार के तरीके खोजने में मेडिकल साइंस भी पीछे नहीं है वर्तमान दौर में मेडिकल साइंस नई उंचाईयांे को छू रहा है गेस्ट्रो के मामले में जापान और हांगकांग काफी आगे हैं वहां हार्ट प्राॅब्लम और ब्रेन स्ट्रोक जैसी बीमरियों की जांच स्टूल टेस्ट से हो जाती है। डाॅक्टर रेड़्डी ने बताया कि पेट भी दिमाग की तरह काम करता है पेट की बीमारी ही सब समस्या की जड़ है, अगर पेट साफ रहता है तो व्यक्ति को बीमार होने के चांस बहुत कम होते हैं।
कैसे बनते हैं प्री प्रो बायोटिक कैप्सूल
डाॅक्टर डी. नागेश्वर रेड्डी ने बताया कि पेट की समस्या आंतों के अंदर रहने वाले बेक्टिरिया के डिस्टर्ब होने से बनती है जिसे ठीक करने के लिये फार्मास्यूटिकल कंपनी अपनी लैब में प्री प्रो बायोटिक कैप्सूल बनाती है यह कैप्सूल स्वस्थ व्यक्ति के स्टूल (मल) से तैयार किये जाते हैं स्वस्थ व्यक्ति के स्टूल में जो बेक्टिरिया होते हैं उन्हें कंपनी कैप्सूल के रूप में तैयार कर देती है जिनके सेवन से बीमार व्यक्ति की आंतों में दोबारा स्वस्थ बैक्टिीरिया सक्रिय हो जाते हैं। इस तरह वह व्यक्ति पेट की बीमारी से छुटकारा पा लेता है। बड़ी आंत के अंदर जो मित्र बैक्टिीरिया होते हैं उनका रंग पीला होता है इसी कारण मल का रंग भी पीला रहता है। जिस व्यक्ति के मल का रंग बदल जाता है वह धीरे-धीरे पेट की बीमारी से ग्रस्त हो जाता है।
राष्ट्रीय कांफ्रेंस में आये देशभर के डाॅक्टर्स
राजधानी के मिंटो हाॅल में कार्डियोलाॅजी डायबेटोलाॅजी, ईसीजी, ईको एवं क्रिटिकल केयर की 22वीं राष्ट्रीय कांफ्रेंस का 2 दिनी आयोजन किया गया था इसके अंतिम दिन रविवार को विश्व प्रसिद्ध गेस्ट्रो इन्ट्राॅलाॅजिस्ट डाॅक्टर डी. नागेश्वर रेड्डी भोपाल आये थे इनके अलावा देशभर के नामचीन डाॅक्टरों ने भी कांफ्रेंस में भाग लिया कार्यक्रम का आयोजन राजधानी के प्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डाॅ.पीसी मनोरिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि अव्यवस्थित दिनचर्या और हाइपरटेंशन से होता है साथ ही इस दो दिवसीय कार्यशाला में सभी विशेषज्ञों ने बीमारियों पर तकनीनी चर्चा के बीच इन बीमारियों के कारण, लक्षण, जांच और इलाज की नई तकनीकों पर अपने विचार और अनुभव साझा किए एवं आखिर में इस सफल कार्यक्रम में डॉक्टर पंकज मनोरिया, पीयूष मनोरिया ने देश भर से आए ख्यात विख्यात डॉक्टर्स का आभार व्यक्त किया।