देश

सिर्फ 12 देशों में पाया जाता है ये वन्यजीव

नई दिल्ली. आपने बचपन में दादा-दादी या नाना-नानी से कभी ना कभी ‘हिमालय के भूत’ की कहानी जरूर सुनी होगी। ये कहानियां बच्चों को डराने के लिए सुनाई जाती थी, जिससे वह अपनी शैतानियों को थोड़ी देर के लिए विराम लगाए, लेकिन आप जब भी अपने बचपन की यादों में झांकेंगे तो आपको ‘हिमालय के भूत’ की धुंधली सी ही तस्वीर नजर आएगी।

दरअसल, आपको जो कहानियां सुनाई गई हैं, उसमे ‘हिमालय के भूत’ को अलग-अलग रंग आकृतियों में पेश करके बताया गया है। आज हम आपको बताएंगे ‘हिमालय का भूत’ कहते किसे हैं। बर्फ से ढकी चोटियों में रहने वाले हिम तेंदुओं को ‘हिमालय का भूत’ कहा जाता है। आज अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस (International Snow Leopard Day) है।

हिम तेंदुआ ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाया जाता है। यह तेंदुओं से छोटा मगर फुर्तीला होता है। उत्तराखंड में नंदा देवी रिजर्व के अलावा उत्तरकाशी के गोविंद पशु विहार, गंगोत्री नेशनल पार्क, उच्च हिमायली क्षेत्र में पाया जाता है। हिम तेंदुआ (पैंथेरा अनसिया), जिसे आमतौर पर औंस के रूप में जाना जाता है, फेलिडे परिवार के पैंथेरा जीनस में बड़ी बिल्ली की एक प्रजाति है। यह प्रजाति मध्य और दक्षिण एशिया की पर्वत श्रृंखलाओं की मूल निवासी है।

दुनिया के केवल 12 देशों में ही हिम तेंदुए पाए जाते हैं और भारत उनमें से एक है। इन देशों में हिम तेंदुओं की आबादी 3000 से 7000 के बीच आंकी गई है। वर्ष 2016 की गणना में भारत में 516 हिम तेंदुए पाए गए थे। अंतर्राष्ट्रीय हिम तेंदुआ दिवस पर मुख्य वन्य जीव संरक्षक समीर सिन्हा ने बताया कि हिम तेदुओं को हिमालय का भूत भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में इनकी संख्या 86 से बढ़कर 121 हो गई है।

हिम तेंदुए उन ऊंचे पहाड़ी इलाकों में रहते हैं जो 18,000 फीट की ऊंचाई पर हैं, ज्यादातर इस तरह के क्षेत्र हिमालय में है। चीन और मंगोलिया में हिम तेंदुओं की संख्या सबसे अधिक होने की बात पता चली है। वे भारत, नेपाल, पाकिस्तान और रूस में भी रहते हैं। हिम तेंदुआ नाम से जानी जाती हैं, क्योंकि वे बर्फ और ठंड में रहती हैं। हिम तेंदुए की जनगणना भारत में पहली बार 2019 में शुरू हुई थी। उत्तराखंड के लिए गणना पूरी होने के बाद भी यह ट्रांस हिमालय क्षेत्र के अन्य हिस्सों जैसे लेह, लद्दाख और हिमाचल प्रदेश में अभी भी जारी है।

हिम तेंदुए की लंबी, मोटी पूंछ होती है। हिम तेंदुए अपनी पूंछ को अपने चारों ओर लपेटते रहते हैं, जिससे ठंड से राहत मिल सके। ये दहाड़ने की जगह मुंह बंद करके बिल्ली की तरह म्याऊ करते हैं। ये नाक से फूंक मारते हैं। हिम तेंदुए एक रात में 25 मील से अधिक की यात्रा कर सकते हैं। वे अपने शरीर की लंबाई से छह गुना लगभग 30 फीट की छलांग लगा सकते हैं, इनकी आंखें पीली भूरी या हरी होती हैं। हिम तेंदुए जंगली भेड़ों का शिकार करते हैं। जंगली भेड़ों की संख्या कम होने से, हिम तेंदुए अन्य पशुओं को मरने लगे हैं और इंसानों पर भी हमला कर देते हैं।

हिम तेंदुए ऊंचे और ऊबड़-खाबड़ इलाकों में 9,800 फीट से 17,000 फीट की ऊंचाई पर पाए जाते हैं। एक्सपर्ट्स का कहना है जलवायु परिवर्तन इनकी आबादी के लिए एक बड़ा खतरा है। हिमाचल में, पिछले साल किए गए एक अध्ययन में 73 पर गिनती का अनुमान लगाया गया था। हालांकि अध्ययन में शावकों को शामिल नहीं किया गया था। इससे पहले ऊपरी किन्नौर और स्पीति घाटी के कुछ हिस्सों में 62 से 65 के बीच रहने का अनुमान था। किब्बर वन्यजीव अभ्यारण्य वह स्थान है जहां पर अधिकतर हिम तेंदुए पाए जाते हैं।

Related Articles

Back to top button
× click to chat whatsapp