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चोट पाकिस्तान को तो दर्द चीन-US को क्यों, दो दुश्मन देश मुस्लिम मुल्क के लिए क्यों दिखा रहे दरियादिली?…

पड़ोसी देश पाकिस्तान लगातार आतंकी हमलों से जूझ रहा है।

सोमवार (26 अगस्त ) को भी बलूचिस्तान प्रांत में अलग-अलग आतंकी हमलों में 50 लोगों की मौत हो गई। यहां तक कि 14 पुलिसकर्मी भी इन हमलों में मारे गए।

इसलिए, इन आतंकी घटनाओं के खिलाफ दो धुर विरोधी देशों चीन और अमेरिका ने पाकिस्तान को समर्थन देने का फैसला किया है।

दोनों दुश्मन देशों ने आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान को मदद और समर्थन देने का वचन दिया है।

बता दें कि चीन और अमेरिका में रिश्ते कभी अच्छे नहीं रहे और दोनों देश सामरिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से एक-दूसरे के दुश्मन माने जाते रहे हैं।

जियो न्यूज की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि बलूचिस्तान प्रांत में हुए आतंकवादी हमलों की निंदा करते हुए पाकिस्तान के दीर्घकालिक क्षेत्रीय सहयोगी चीन ने ना केवल इन हमलों पर चिंता जताई है बल्कि पाकिस्तान को हरसंभव मदद देने का भरोसा जताया है।

चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता लिन जियान ने मंगलवार को प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि बीजिंग पाकिस्तान में हुए हमलों की कड़ी निंदा करता है तथा आतंकवाद विरोधी कार्रवाई में देश को मजबूत समर्थन देना जारी रखेगा।

लिन जियान ने कहा, “चीन सभी प्रकार के आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़ा है। हम आतंकवाद विरोधी अभियानों को आगे बढ़ाने, सामाजिक एकजुटता और स्थिरता को बनाए रखने तथा लोगों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के प्रयासों में उसे दृढ़ समर्थन देना जारी रखेंगे।”

चीनी प्रवक्ता ने पाकिस्तान के साथ आतंकवाद-रोधी और सुरक्षा सहयोग को और बढ़ाने देने तथा क्षेत्र में शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद का वादा किया है।

अमेरिका ने भी स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बलूचिस्तान के मुसाखाइल और अन्य क्षेत्रों में हुई आतंकी हिंसा पर चिंता जताई है।

इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपने आधिकारिक एक्स अकाउंट पर लिखा, “कल के हमलों में मारे गए लोगों के परिवारों और प्रियजनों के प्रति हमारी संवेदना है।

आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अमेरिका पाकिस्तान के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा रहेगा।”

दरअसल, पाकिस्तान का दक्षिणी-पश्चिमी प्रांत बलूचिस्तान कई तरह के प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न प्रदेश है। इसके साथ ही सोने और तांबे की खदान भी इस इलाके में हैं, जिस पर कई चीनी परियोजनाएं संचालित हैं।

इसके अलावा इसी प्रांत में एक बड़ा बंदरगाह है, जिसका नाम ग्वादर पोर्ट है। यह पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के ग्वादर में स्थित गहरे समुद्र का बन्दरगाह है।

यह पोर्ट चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे योजना का मुख्य द्वार माना जाता है। इतना ही नहीं इसे महत्वाकांक्षी वन बेल्ट, वन रोड और समुद्री सिल्क रोड परियोजनाओं के बीच एक लिंक माना जाता है।

दूसरी तरफ अमेरिका क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने और अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ साथ देने की रणनीति पर काम कर रहा है।

अमेरिका और पाकिस्तान के बीच रक्षा और आर्थिक संबंध भी रहे हैं। अमेरिका नहीं चाहता कि उसकी गैर मौजूदगी का फायदा चीन उठाए, इसलिए आतंकवाद पर नकेल कसने के बहाने अमेरिका भी चीन के साथ पाकिस्तान की मदद करने को तैयार है।

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