जीएसटी परिषद बैठक: पान मसाला, तंबाकू के लिए बदलेंगे नियम!

नई दिल्ली। जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में सरकार पान मसाला, चबाने वाले तंबाकू और सिगरेट जैसी हानिकारक वस्तुओं पर कर की गणना के तरीके में बदलाव करने की योजना बना रही है।
अभी जीएसटी और उपकर लेन-देन मूल्य के आधार पर वसूले जाते हैं, वह मूल्य जिस पर एक विक्रेता खुदरा विक्रेता को बेचता है।नया प्रस्ताव क्या है?
अब करों की गणना के लिए पैकेट पर छपे एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) का उपयोग किया जाएगा। उस एमआरपी पर एक समान 40 प्रतिशत जीएसटी + उपकर लगाया जा सकता है। परिषद यह भी तय कर सकती है कि इन उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क या उपकर लगाया जाए या नहीं।
यह बदलाव क्यों?
इस श्रेणी में कर चोरी बहुत होती है। विक्रेता अक्सर अधिक करों से बचने के लिए वास्तविक मूल्य छिपाते हैं। एमआरपी को कर आधार के रूप में इस्तेमाल करके, सरकार इस खामी को रोकना चाहती है।
इसका बाज़ार पर क्या असर होगा?
सिगरेट और तंबाकू उत्पाद बनाने वाली आईटीसी जैसी कंपनियों पर अल्पकालिक दबाव पड़ सकता है, क्योंकि ज़्यादा कर के कारण उनकी कीमतें बढ़ सकती हैं, लेकिन लंबे समय में इससे कर व्यवस्था ज़्यादा स्पष्ट और स्थिर हो जाएगी।
निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है?
तंबाकू उत्पादों की मांग में लचीलापन नहीं होता, यानी कीमतें बढ़ने पर भी लोग इन्हें खरीदते हैं। इसलिए आईटीसी या इसी तरह के शेयरों में कोई भी गिरावट खरीदारी का मौका हो सकती है, क्योंकि आमतौर पर समय के साथ इनमें सुधार होता है।