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आंध्र: 3,500 करोड़ के कथित शराब घोटाले में आया पूर्व सीएम का नाम

हैदराबाद। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी का नाम राज्य पुलिस द्वारा शनिवार को एक स्थानीय अदालत में 3,500 करोड़ रुपए के कथित शराब घोटाले में दायर आरोपपत्र में दर्ज किया गया है। आरोपपत्र में उन्हें औसतन 50-60 करोड़ रुपए प्रति माह की रिश्वत लेने वालों में से एक बताया गया है। हालांकि, अदालत ने अभी तक आरोप—पत्र पर संज्ञान नहीं लिया है, लेकिन 305 पृष्ठों के आरोप—पत्र में जगन का नाम केवल रिश्वत लेने वाले के रूप में दर्ज है न कि आरोपी के रूप में।

जगन ने कहा कि कथित शराब घोटाला एक मनगढ़ंत कहानी है, जिसे मीडिया में तमाशा दिखाने और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए गढ़ा गया है। उन्होंने आगे कहा कि यह मामला दबाव, धमकियों, थर्ड-डिग्री टॉर्चर और रिश्वत व प्रलोभन के ज़रिए दिए गए बयानों पर आधारित है।

इस बीच आरोप पत्र में दावा किया गया है, “एकत्र की गई राशि अंततः केसीरेड्डी राजशेखर रेड्डी (ए-1) को सौंप दी गई”। आरोप पत्र में कहा गया है, “राजशेखर रेड्डी फिर यह राशि विजय साई रेड्डी (ए-5), मिथुन रेड्डी (ए-4), बालाजी (ए-33) को देते थे, जो इसे पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी को हस्तांतरित करते थे। औसतन, हर महीने (2019-24 के वाईएसआरसीपी शासनकाल के दौरान) 50-60 करोड़ रुपए एकत्र किए गए।

आरोप—पत्र में आरोप लगाया गया है कि 3,500 करोड़ रुपए के पूरे शराब घोटाले के “मास्टरमाइंड और सह-साजिशकर्ता” राजशेखर ने आबकारी नीति में हेरफेर को प्रभावित किया था और स्वचालित ओएफएस (आपूर्ति के लिए आदेश) को मैन्युअल प्रक्रिया से बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी; एपीएसबीसीएल (आंध्र प्रदेश राज्य पेय पदार्थ निगम लिमिटेड) में अपने वफादारों को नियुक्त किया था। इसमें आगे कहा गया है कि उसने कथित तौर पर फर्जी डिस्टिलरी बनाईं और एक अन्य आरोपी बालाजी गोविंदप्पा के माध्यम से जगन को “रिश्वत” दी।

राजशेखर ने आरोपी पूर्व विधायक चेविरेड्डी भास्कर रेड्डी के साथ मिलकर वाईएसआरसीपी पार्टी की ओर से चुनावों के लिए 250-300 करोड़ रुपये तक की नकदी भेजी, और 30 से अधिक फर्जी फर्मों के माध्यम से धन शोधन के लिए भी जिम्मेदार था। आरोपपत्र के अनुसार, इस राशि का निवेश दुबई और अफ्रीका में जमीन, सोना, आलीशान संपत्तियां हासिल करने में किया गया था।

पुलिस ने आरोप लगाया है कि मुख्य आरोपी ने पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के तहत नई शराब नीति को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसका उद्देश्य शराब की आपूर्ति और वितरण पर एकाधिकार करना था। जाँचकर्ताओं के अनुसार, यह कदम 2019 और 2024 के बीच कमीशन और रिश्वत हासिल करने की एक बड़ी योजना का हिस्सा था।

आरोप पत्र में दावा किया गया है कि आरोपियों ने आबकारी नीति और उसके तौर-तरीकों में बदलाव की योजना बनाई ताकि उन्हें बड़ी रिश्वत मिल सके। इस तरह की रिश्वत का बड़ा हिस्सा नकद, सोने आदि के रूप में प्राप्त हुआ।

इसके अलावा जांच के दौरान यह पाया गया कि आरोपियों ने जानबूझकर उन ब्रांडों और डिस्टिलरीज़ को ओएफएस की मंज़ूरी नहीं दी जो रिश्वत की माँगों को पूरा नहीं कर रहे थे।

कथित शराब घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शनिवार को वाईएसआरसीपी के लोकसभा सदस्य पीवी मिधुन रेड्डी को गिरफ्तार किया। प्रवर्तन निदेशालय ने भी मई में कथित शराब घोटाले की जाँच के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था। केंद्रीय जांच एजेंसी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत एक प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) दर्ज की है।

अब तक की जाँच से पता चला है कि वर्ष 2019 की दूसरी छमाही में सज्जला श्रीधर रेड्डी (ए-6) ने हैदराबाद के होटल पार्क हयात में डिस्टिलरी के मालिकों की एक बैठक बुलाई थी, जैसा कि आरोप पत्र में कहा गया है। इसमें आगे कहा गया है कि डिस्टिलरी को सिंडिकेट के साथ मिलकर काम करने के लिए कहा गया था। कारोबार में नुकसान के डर से, कई डिस्टिलरी ने 12 प्रतिशत की दर से रिश्वत देने पर सहमति जताई। बाद में, यह प्रतिशत बढ़ाकर आधार मूल्य का 20 प्रतिशत कर दिया गया, जैसा कि आरोप पत्र में आगे कहा गया है।

आरोप पत्र में आरोप लगाया गया है कि बैठक के दौरान मालिकों को धमकाया गया कि अगर वे उनके प्रस्तावों को नहीं मानते हैं तो उन्हें कोई आदेश जारी नहीं किया जाएगा। ओएफएस जारी न करने की धमकी देकर रिश्वत के लिए इस तरह की धमकी देना और इस तरह रिश्वत लेना जबरन वसूली के समान है।

आरोप पत्र के लिए सरकार की आलोचना करते हुए जगन ने वाईएसआरसीपी के लोकसभा सांसद पीवी मिधुन रेड्डी की गिरफ्तारी की निंदा की। उन्होंने आगे कहा कि मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू स्वयं 2014-19 के दौरान शराब नीति से जुड़े एक मामले में जमानत पर हैं, जो एक अमानवीय बात है।

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