मध्यप्रदेश

40 लाख की गड़बड़ी: सीएम राइज स्कूल में बिरयानी-रसगुल्ला घोटाला

जबलपुर। मध्य प्रदेश के शहडोल में काजू घोटाले के बाद जबलपुर के एक सीएम राइज स्कूल में बिरयानी घोटाला सामने आया है। बिरयानी ही नहीं, रसगुल्ले, प्रिंटर इंक, पौधरोपण और निर्माण कार्य भी जांच के घेरे में हैं!

जबलपुर के चरगवां क्षेत्र के संदीपनी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में 40 लाख रुपए की ये कथित वित्तीय अनियमितताएं उजागर हुई हैं।

शिकायत के अनुसार, कागजों पर छात्रों को हज़ारों रुपए की बिरयानी और रसगुल्ले बांटे गए, लेकिन असल में छात्रों ने दावा किया कि उन्हें ये कभी मिले ही नहीं। छात्रों ने पुष्टि की कि उन्हें चार सालों में सिर्फ़ गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर ही पोहा और जलेबी मिले, इसके अलावा कुछ नहीं।

सफाईकर्मी के नाम पर जारी हुए बिल!

हैरानी की बात है कि सफाईकर्मी हीरालाल झारिया का नाम दीवारों की पेंटिंग, मिट्टी समतल करने, टाइल लगाने, शौचालय बनाने से लेकर फूलों की सजावट तक कई बिलों पर छपा है। यहां तक कि एक जूता स्टैंड के लिए 8,000 रुपए का बिल भी बनाया गया था। जांच से पता चला कि हीरालाल और दो अन्य चपरासियों के खातों में लाखों रुपए ट्रांसफर किए गए थे।

जयपुर से प्रिंटर इंक का बिल भी दिखाया गया, लेकिन उसकी ज़रूरत अभी स्पष्ट नहीं है। सुरक्षा गार्ड और सतीश, आशीष और लीलाबाई बर्मन जैसे अन्य कर्मचारियों के खातों में भी बड़ी रकम जमा हुई थी। सफाईकर्मी हीरालाल का कहना है कि उन्हें अतिरिक्त पैसे कमाने के लिए ड्यूटी के बाद पेंट करने में मदद करने के लिए कहा गया था।

दो बार जांच, कोई कार्रवाई नहीं!

शिकायतकर्ता दुर्गेश चड्ढर का आरोप है कि प्रधानाचार्य ने 35-40 लाख रुपए के सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। दो बार जांच हुई, लेकिन अभी तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि, प्रधानाचार्य ने सभी आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों को छुट्टियों के दौरान मामूली काम दिया जाता था।

लोक शिक्षा विभाग ने रिपोर्ट मांगी है और कहा है कि अगर फिर से अनियमितताएं पाई गईं, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह मामला सरकारी स्कूल निधि के गंभीर दुरुपयोग को उजागर करता है, जबकि बच्चों को बुनियादी सुविधाओं का अभाव बना हुआ है।

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